बिसरख: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की आराधना की जाती है. कहा जाता है कि भोले बाबा जितने कठोर दिखते हैं, उतने ही ज्यादा सरल हृदय हैं. ये बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर दूध, जल, बेलपत्र, धतूरा आदि चढ़ाने मात्र से ही शंकर भगवान की कृपा प्राप्त हो जाती है. लेकिन आज हम आपको महादेव के ऐसे चमत्कारी प्राचीन शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे छूने मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. यह कोई सामान्य शिवलिंग नहीं है बल्कि अष्ट धातुओं से बना अष्टकोणीय शिवलिंग है, और इसके दर्शन के लिए देश के कोने कोने से लोग आते हैं.
भोलेनाथ के अनन्य भक्त रहे लंका नरेश रावण ने भी यहीं आराधना कर महाकाल को प्रसन्न कर लिया था और वरदान प्राप्त कर सोने की लंका का अधिपति बन गया था. कहा जाता है कि तभी से इस शिवलिंग की मान्यता है. इस सिद्ध शिवलिंग की ख्याति सुनकर ही यहां भारत के पूर्व प्रधानमंत्री तक अपनी कामना पूर्ति के लिए दर्शन करने आते रहे हैं.
यह अष्टकोणीय शिवलिंग उत्तर प्रदेश के नोएडा के गांव बिसरख में है. बिसरख को रावण का गांव कहा जाता है. मंदिर के पुजारी रामदास बताते हैं कि यहीं पर रावण का जन्म हुआ था. रावण के पिता विश्वश्रवा भी यहीं पैदा हुए थे. अपने पिता को देखकर ही रावण यहां अष्टकोणीय शिवलिंग की आराधना करता था. बचपन में कठोर तप कर रुद्र भगवान को मनाकर उसने अभेद वरदान हासिल कर लिया था और युवावस्था से पहले ही वह कुबेर से सोने की लंका लेने के लिए निकल गया था.
कहा जाता है कि बिसरख गांव के इस शिवलिंग के जो भी दर्शन करता है या इसे छूकर किसी मनवांछित फल की प्राप्ति की कामना करता है तो वह निश्चित ही पूरी होती है. यही वजह है कि सैकड़ों लोग अपनी कामना पूर्ति के बाद नियमित रूप से यहां दर्शनों के लिए आते हैं. वहीं महाशिवरात्रि के दिन यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. अगर आप भी दिल्ली-एनसीआर में कहीं रहते हैं तो इस सिद्ध शिवलिंग के दर्शन करने पहुंच सकते हैं.