नई दिल्ली (New Delhi)। गाय और भैंस के दूध (cow and buffalo milk) से कमाई का ट्रेंड पुराना (Old trend) हो चुका है। आज हम आपको ऐसे शख्स से मिलाते हैं जो गधी के दूध (donkey milk) का कारोबार करते हैं। गधी का दूध बेचकर वह हर महीने लाखों रुपये बनाते हैं। उनका नाम है धीरेन सोलंकी (Dhiren Solanki)। धीरेन गुजरात के पाटन जिले से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने 42 गधों के साथ जिले में डंकी फार्म शुरू किया था। वह गधी के दूध को ऑनलाइन बेचते हैं। इसकी बिक्री 5,000 रुपये लीटर में होती है। गधी का दूध दक्षिण भारत में मूल्यवान वस्तु है। इस दूध की सप्लाई करके धीरेन हर महीने 2-3 लाख रुपये कमाते हैं।
सोलंकी ने 20 गधों और 22 लाख रुपये के निवेश के साथ एक फार्म शुरू किया। शुरू में गुजरात में गधी के दूध की बहुत कम मांग थी। लेकिन, उन्होंने कर्नाटक और केरल सहित दक्षिण भारत की कंपनियों में इसे पहुंचाना शुरू किया। कॉस्मेटिक कंपनियों में इसकी खासतौर से मांग थी। वे अपने प्रोडक्टों में गधी के दूध का इस्तेमाल करती हैं। गधी के दूध की कीमत 5,000 रुपये से 7,000 रुपये के बीच है। वहीं, गाय का दूध 65 रुपये प्रति लीटर बिकता है। ताजगी सुनिश्चित करने के लिए दूध को फ्रीजर में स्टोर किया जाता है। इसे पाउडर फॉर्म में भी बेचा जाता है। इसकी कीमत लगभग एक लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है। सोलंकी के पास अब 42 गधी हैं। उन्होंने अब तक लगभग 38 लाख रुपये का निवेश किया है। वह चाहते हैं कि राज्य सरकार इस सेक्टर पर भी फोकस करे।
प्राचीन काल में गधी के दूध का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता था। मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा और यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स इसे कई तरह की समस्याओं के लिए प्रिस्क्राइब किया करते थे। इनमें लिवर की समस्या, नाक से खून आना, पॉयजनिंग, संक्रामक रोग और बुखार शामिल थे। हालांकि, आधुनिक युग में इसका प्रचलन कम हो गया। उपलब्धता अभी भी सीमित है। यही कारण है कि कीमतें ऊंची हैं। गधी के दूध का कंपोजिशन गाय के दूध की तुलना में इंसानी दूध के समान होता है। इससे यह शिशुओं के लिए एक अच्छा विकल्प बन जाता है। खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें गाय के दूध से एलर्जी है। यह आंत के स्वास्थ्य, इम्यूनिटी बढ़ाने और डायबिटीज में भी लाभकारी है।