RBI द्वारा नियम कड़े करने से Unsecured लोन के मामलों में आएगी कमी: SBI चेयरमैन

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नई दिल्ली : भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने बुधवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नियमों को कड़ा किये जाने से बैंक के असुरक्षित माने जाने वाले कर्ज देने के मामलों में कमी आएगी. खारा ने कहा कि उच्च जोखिम भार के कारण दिसंबर तिमाही में शुद्ध ब्याज मार्जिन पर 0.02 प्रतिशत से 0.03 प्रतिशत का प्रभाव पड़ेगा, लेकिन सही तस्वीर अगली तिमाही में उभरेगी।

उल्लेखनीय है भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले सप्ताह बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के लिये व्यक्तिगत और क्रेडिट कार्ड कर्ज जैसे असुरक्षित माने जाने वाले ऋण के नियमों को कड़ा किये जाने की घोषणा की. संशोधित मानदंड में जोखिम भार में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।

उच्च जोखिम भार का मतलब है कि व्यक्तिगत कर्ज के मामले में बैंकों को अलग से ज्यादा राशि का प्रावधान करना होगा. इससे बैंक किसी प्रकार के दबाव की स्थिति में उससे निपटने में ज्यादा सक्षम होंगे. साथ ही इस कदम से लोगों के लिये व्यक्तिगत कर्ज और क्रेडिट कार्ड के जरिये ऋण लेना महंगा होगा।

उन्होंने उद्योग मंडल फिक्की और भारतीय बैंक संघ (IBA) के संयुक्त रूप से आयोजित सालाना एफआई-बीएसी कार्यक्रम के दौरान अलग से बातचीत में कहा, ‘‘हम जो भी कर रहे थे, वह जारी रहेगा। लेकिन उसमें कुछ कमी आएगी।

खारा ने कहा कि कोष की लागत बढ़ने के साथ-साथ ऐसे कर्ज पर ब्याज दरें भी बढ़ेंगी. एक पूंजीगत लागत होगी जिसे नये मानदंडों के कारण बैंक को वहन करना होगा. उन्होंने कहा कि असुरक्षित कर्ज के मामले में बैंक की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) 0.70 प्रतिशत है।

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