नई दिल्ली : सऊदी अरब ने अपने कच्चे तेल (Crude oil) पर प्रीमियम घटाकर 3.50 डॉलर प्रति बैरल करके ग्लोबल ऑयल मार्केट (global oil market) में एक बड़ा महत्वपूर्ण कदम उठाया है. पिछले साल तक सऊदी अरब कच्चे तेल पर लगभग 10 डॉलर की दर से प्रीमियम (premium) वसूल रहा था. इस फैसले का वैश्विक तेल बाजार और ग्राहकों पर अलग-अलग असर होगा. अनुमान जताया जा रहा है कि रूस से मिल रहे सस्ते क्रूड से मुकाबला करने के लिए सऊदी ने ये कदम उठाया है. एशियाई प्रीमियम में की गई कमी से अब भारत को सऊदी अरब से पहले के मुकाबले कम कीमत में कच्चा तेल मिलेगा. सऊदी अरब रूस और ईरान के बाद भारत को तेल निर्यात करने वाला तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है.
एशियन प्रीमियम एशियाई देशों से कच्चे तेल की असल कीमत के ऊपर लिया जाने वाला अतिरिक्त दाम है जिसको OPEC देश लगाते हैं. भारत ने हमेशा कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले देशों पर दबाव बनाया है कि वो इस प्रीमियम को ना वसूलें. यही नहीं भारत ने हमेशा OPEC देशों से एक एशियन डिस्काउंट की डिमांड की है. ऐसे में जब कई देश कच्चे तेल पर डिस्काउंट दे रहे हैं और कुछ प्रीमियम वसूल रहे हैं तो क्रूड खरीदार देश सबसे सस्ते सौदे को तरजीह दे रहे हैं. सऊदी अरब जहां ऑयल सेलिंग प्राइस पर प्रीमियम लगाता है वहीं संयुक्त अरब अमीरात किसी तरह की अतिरिक्त रकम नहीं वसूलता है.
सऊदी के इस कदम से पहले ही कच्चा तेल उत्पादन करने वाले देशों के संगठन OPEC के कई सदस्य देशों ने एशियाई प्रीमियम को या तो खत्म कर दिया था या इसे बेहद कम कर दिया था. अब प्रमुख क्रूड उत्पादक देश सऊदी अरब के प्रीमियम कटौती के फैसले से एक बार फिर से बढ़ रहे कच्चे तेल के दाम रुकने का अनुमान है. इस कटौती के बाद सऊदी अरब के कच्चे तेल की डिमांड बढ़ सकती है. जिसके बाद दूसरे प्रमुख क्रूड उत्पादक देश अलग अलग रास्तों से अपने कच्चे तेल को सस्ता करने की कोशिश करेंगे. इससे एक बार फिर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की आशंका खत्म हो जाएगी और लोगों को सस्ता फ्यूल मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी.
इस हफ्ते की शुरुआत में कच्चे तेल के दाम 95 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल गए थे. इसके पहले क्रूड ऑयल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी हुई थी. लेकिन इनके दाम एक बार फिर बढ़ने से महंगाई में इजाफे की आशंका पैदा हो गई थी. मौजूदा ग्लोबल सुस्ती के माहौल में महंगाई बढ़ना एक बुरी खबर साबित होगी. इससे सुस्ती का सामना कर रही वैश्विक इकॉनमी मंदी के भंवर में फंस सकती है. लेकिन अगर महंगाई का ये कहर थाम लिया गया तो फिर ग्लोबल इकॉनमी सुस्ती के असर से बाहर निकलने की उम्मीद कर सकती है.
प्रीमियम में इस कटौती के बाद ईंधन की कीमतें कम होने की संभावना है. जैसे-जैसे उत्पादन और परिवहन की लागत घटेगी उद्योग और आम लोगों को फायदा होगा. ट्रांसपोर्ट और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को तो सस्ते ईंधन से सबसे ज्यादा राहत मिलेगी. तेल की कीमतों में बदलाव से वैश्विक तेल बाजार की स्थिरता पर असर होगा. वैसे देखा जाए तो तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव की वजह भू-राजनीतिक तनाव, सप्लाई और डिमांड के साथ ही वैश्विक आर्थिक स्थितियों से तय होते हैं.