नई दिल्ली: देश की रिटेल इंडस्ट्री की ग्रोथ के लिए, केंद्र सरकार नेशनल रिटेल ट्रेड पॉलिसी और ई-कॉमर्स पॉलिसी लेकर आ रही है. एक बार इस पॉलिसी के लागू हो जाने के बाद रोजाना की चीजों की कीमत काबू में आ जाएगी. इसके अलावा बैंक से तेजी के साथ अतिरिक्त पैसा उधार लेना भी व्यापारियों के लिए आसान बन जाएगा. जो लोग छोटे कारोबारों से जुड़े हैं, जैसे किराने की दुकानों से, उन्हें खास तौर पर इस पॉलिसी के फायदा होगा.
डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) के ज्वॉइंट सेक्रेटरी संजीव सिंह ने कहा है कि इससे बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराने और छोटे रिटेल डीलर्स के लिए आसान लोन उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी. उन्होंने आगे कहा कि इसके साथ यह प्लान व्यापारियों को अतिरिक्त लोन और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध करेगा. इसके साथ विभाग ऑनलाइन दुकानों के लिए भी ई-कॉमर्स पॉलिसी विकसित कराने की योजना बना रहा है.
सिंह का दावा है कि DPIIT ऑनलाइन विक्रेताओं के लिए ई-कॉमर्स पॉलिसी विकसित बनाने पर भी काम कर रहा है. उद्योग समूह फिक्की द्वारा आयोजित एक इवेंट में बोलते हुए संजीव ने कहा कि उनका सोचना है कि ई-कॉमर्स और रिटेल डीलर्स के बीच तालमेल होना चाहिए. उनके मुताबिक, सुझाव दी जा रही नई पॉलिसी का जोर व्यापारियों की भलाई पर होगा, जो एक अच्छी चीज है.
ड्राफ्ट में एक्सीडेंट इंश्योरेंस के लिए प्रावधानों के साथ कारोबार के मालिकों, स्वतंत्र कॉन्ट्रैक्टर और व्यापारियों के लिए प्रावधान भी शामिल होंगे. व्यापारियों के वेलफेयर के लिए एक राष्ट्रीय संस्था का सुझाव भी दिया गया है. रकार की ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) पहल से पूरे ई-कॉमर्स इकोसिस्टम में बदलाव आएगा. और इससे दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियों का एकाधिकार खत्म होगा.
रिलायंस रिटेल के डायरेक्टर सुब्रमण्यम वी का दावा है कि भारतीय रिटेल बाजार दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते मार्केट में से एक है और यह साल 2032 तक दो ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा. उनके मुताबिक, असंगठित क्षेत्र के 2022 में बाजार के अनुमानित 844 अरब डॉलर में करीब 87 फीसदी का योगदान देने की उम्मीद है.