नई दिल्ली. आज यानी 29 जून को मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार ईद-उल-अजहा यानी बकरीद (Bakar Eid) है। इसके लिए देश में लोगों ने जोर-शोर से तैयारियां की हैं। जानकारी दें कि रमजान का महीना खत्म होने के लगभग 65 से 70 दिनों बाद बकरीद मनाई जाती है। दरअसल इस्लाम में ईल उल अजहा का पर्व बेहद खास और अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस त्यौहार को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है। बकरीद (Bakrid) को बड़ी ईद भी कहते हैं। यह कुर्बानी का भी त्योहार है।
पूरे देश में मनाया जा रहा ईद-उल-अजहा
आज इस ख़ास मौके पर देश के ईदगाहों में नमाज अदा की गयी है। आज ईद-उल-अजहा(बकरीद) के ख़ास मौके पर दिल्ली के जामा मस्जिद में लोगों ने नमाज़ अदा की। वहीं नामज के बाद लोगों ने एक दूसरे को मुबारकबाद दी। वहीं महाराष्ट्र के राजधानी मुंबई में भी ईद-उल-अजहा(बकरीद) के मौके पर माहिम दरगाह में लोगों ने नमाज अदा की है। वहीँ केरल के कोच्चि में भी लोगों ने मस्जिदुल इस्लाम मस्जिद में नमाज अदा की।
जानकारी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि, बकरीद से पैगंबर इब्राहिम की पौराणिक कथा जुड़ी है। इस कथा के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम अपने पुत्र इस्माइल को कुर्बानकरने वाले थे और कुर्बानी से पहले उन्होंने अल्लाह को याद करके बेटे के लिए दुआ की। वहीं अल्लाह ने पैगंबर इब्राहिम की दुआ सुनी और उनके बेटे को जीवनदान दिया। इधर जब पैगंबर अपने बेटे की बलि देने पहुंचे तो देखा पुत्र के स्थान पर एक पशु है और बेटा सही सलामत है। बस तब से ही बकरीद का त्योहार मनाया जाता है।
पता हो कि, ईद-उल-अजहा या बकरीद के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। इस कुर्बानी को बाद में रिश्तेदारों और दोस्तों से भी बांटा जाता है और मुबारकबाद (Eid Wishes) दी जाती है। पूरा समुदाय मिलकर ईद का यह ख़ास त्योहार मनाता है। ईद पर सब तरफ खुशियां बांटी जाती हैं और भाईचारे को बढ़ने का संदेश दिया जाता है।