नई दिल्ली: आज संसद के मानसून सत्र का चौथा दिन है। बीते बुधवार की ही तरह आज भी दोनों सदनों में बजट पर बहस होगी। तीसरे दिन भी बजट पर बहस हुई थी। तब सदन शुरू होने से पहले ही विपक्ष के नेताओं ने संसद के बाहर केंद्र सरकार के बजट के विरोध में प्रदर्शन किया था।
बीते बुधवार को मानसून सत्र में कांग्रेस ने केंद्रीय बजट को ‘कुर्सी बचाओ और जुमला बजट’ करार देते हुए कहा था कि इस बजट में सिर्फ दो राज्यों बिहार और आंध्र प्रदेश पर मेहबरानी की गई है, लेकिन देश के अन्य राज्यों, किसानों और गरीबों की अनदेखी हुई है। लोकसभा में केंद्रीय बजट पर सामान्य चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस ने यह दावा भी किया कि सरकार ने बेरोजगारी, महंगाई, स्वास्थ्य क्षेत्र और शिक्षा की अनदेखी की है।
वहीं बीते बुधवार को कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने बीते बुधवार को आम बजट 2024-25 में बिहार और आंध्र प्रदेश को छोड़कर अन्य राज्यों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए राज्यसभा से बहिर्गमन किया था। तब सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा नियम 267 के तहत दिए गए नोटिस खारिज करने के बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने बजट का जिक्र करते हुए कहा था, ‘इसमें किसी भी राज्य को कुछ नहीं मिला। सबकी थाली खाली और दो की थाली में पकौड़े और जलेबी।’
उन्होंने दावा किया था कि बजट में तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली और ओड़िशा सहित कई राज्यों को कुछ नहीं मिला। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने ऐसा बजट कभी नहीं देखा। यह सिर्फ किसी को खुश करने के लिए…कुर्सी बचाने के लिए… यह सब हुआ है। हम इसकी निंदा करते हैं। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ‘इंडिया’ गठबंधन के दल इसकी निंदा करते हैं।” खरगे ने आरोप लगाया था कि जिन क्षेत्रों में विपक्षी पार्टी चुनकर आई है या जहां जनता ने सत्तारूढ़ पार्टी को नकार दिया है, उन क्षेत्रों को बजट में नजरअंदाज किया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के इन आरोपों को ‘बेतुका’ करार देते हुए सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि बजट भाषण में राज्यों का नाम न लेने का अर्थ यह नहीं है कि उन्हें नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस द्वारा पूर्व में पेश किए गए बजट में भी सभी राज्यों का कभी उल्लेख नहीं रहा।
बीते बुधवार खरगे के आरोपों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा था कि बजट भाषण में अक्सर हर राज्य का नाम लेना संभव नहीं होता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि राज्यों को नजरअंदाज किया गया है। सीतारमण ने कहा कि उन्होंने बजट पेश करने के दौरान महाराष्ट्र का नाम नहीं लिया लेकिन हाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 76,000 करोड़ रुपये की लागत वाली वधावन बंदरगाह परियोजना (महाराष्ट्र) को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा वह कई अन्य राज्यों का हवाला दे सकती हैं जिन्हें बड़ी परियोजनाएं मिली हैं।
गौरतलब है कि सत्तारूढ़ BJP हाल ही में संपन्न आम चुनाव में बहुमत हासिल नहीं कर सकी थी। बिहार की JDU और आंध्र प्रदेश की TDP के समर्थन पर यह सरकार टिकी है। दोनों दल लंबे समय से अपने-अपने राज्यों के लिए विशेष दर्जे की मांग करते रहे हैं। सीतारमण ने बीते मंगलवार को पेश बजट में आंध्र प्रदेश के लिए 60,000 करोड़ रुपये की घोषणा की और दक्षिणी राज्य के लिए बहुपक्षीय एजेंसियों से 15,000 करोड़ रुपये की सहायता प्राप्त करने के लिए समर्थन का वादा किया था।