नई दिल्ली: किसान संगठनों और केंद्र सरकार के मंत्रियों के बीच चौथे दौर की बैठक आज यानी रविवार को होनी है। यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है। पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पहुंचे हजारों किसान दिल्ली जाने का इंतजार कर रहे हैं। किसान संगठनों के कार्यकर्ता मान रहे हैं कि रविवार को होने वाली बैठक बातचीत के दौर की आखिरी बैठक होगी। इस बैठक में तय होगा कि किसान दिल्ली की ओर बढ़ेंगे या पंजाब-हरियाणा की सीमाओं से अपने घरों को लौट जाएंगे।
सूत्र बता रहे हैं कि केंद्र सरकार रविवार की बैठक में किसान संगठनों की न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग पर चर्चा करेगी। सरकार इस सबसे बड़ी मांग का समाधान ढूंढ रही है। किसान संगठनों के सामने एम.एस.पी. गारंटी कानून के लिए एक कमेटी बनाने और उसमें किसान संगठनों के नेताओं को शामिल करने का प्रस्ताव रखा जाएगा।
इसके साथ ही केंद्र सरकार अजय मिश्र टेनी और लखीमपुर खीरी के शहीद किसानों को मुआवजा देने जैसी मांगों पर भी आगे बढ़ सकती है। उधर, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा है कि किसान संगठनों का दिल्ली की ओर कूच करने का कार्यक्रम रद्द नहीं किया गया है। इसे फिलहाल स्थगित कर दिया गया है क्योंकि जिन मांगों को लेकर वे दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं, संबंधी बातचीत करने के लिए केंद्रीय मंत्री बैठक में आए थे।
उन्होंने कहा कि सभी किसानों को पूरी उम्मीद है कि रविवार को होने वाली बैठक में उन्हें सरकार से कोई अच्छी खबर मिलेगी। उधर, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल वर भारतीय किसान यूनियन एकता सिधूपुर ने एम.एस.पी. को लेकर केन्द्र पर तीखे प्रहार किये गये। किसान नेताओं ने कहा कि हमारी मांग है कि केंद्र सरकार सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य या उससे ऊपर पर खरीदे, निर्धारित दर से कम नहीं। केंद्र का कहना है कि एम.एस.पी. देश में लागू करने के लिए 36 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है।
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रधान स्वर्ण सिंह पंधेर ने कहा कि केंद्रीय मंत्री फसल बीमा देने की बात तो करते हैं, लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा की कंपनियां फसल बीमा की आड़ में करोड़ों रुपये वसूल कर भाग गईं। केंद्र कह रहा है कि एम.एस.पी. हरियाणा और पंजाब में धान और गेहूं पर उपलब्ध है। इस मौके पर भारतीय किसान मजदूर यूनियन के अध्यक्ष मंजीत सिंह घुमाना, किसान मजदूर मोर्चा के नेता गुरमनजीत सिंह मांगट, बलकार सिंह बैंस और अन्य ने अपनी 13 महत्वपूर्ण मांगों पर प्रकाश डाला और कहा कि रविवार की बैठक के बाद उन्होंने दिल्ली की ओर मार्च करने की रणनीति तैय की जाएगी। अगर मांगें नहीं मानी गईं तो बैरिकेड तोड़ देंगे।