नई दिल्ली: देश में गुरुवार को रिजर्व बैंक की तरफ से खुदरा क्षेत्र के लिए डिजिटल रुपया का सफलतापूर्वक पायलट परीक्षण किया गया। देश के चुनिंदा प्रमुख शहरों में चार बैंकों की ओर से 1.71 करोड़ रुपये की डिजिटल मुद्रा की मांग की गई थी। मांग के मुताबिक डिजिटल रुपया आरबीआई की तरफ से जारी हुआ। मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक आने वाले समय में बैंकों की तरफ से बढ़ती जरूरत के हिसाब से जारी की जाने वाली रकम में भी बढ़त देखने को मिलेगी। जानकारी के मुताबिक फिलहाल सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी को दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में लॉन्च किया गया है। इस पायलट प्रोजेक्ट में भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीएफसी बैंक और यस बैंक शामिल हैं। इसके पहले एक नवंबर से थोक इस्तेमाल के लिए डिजिटल करंसी का पायलट पहले ही शुरू हो चुका है।
कैसा होगा ई-रुपया: आरबीआई के अनुसार ई-रुपया डिजिटल टोकन आधारित होगा। इसे केंद्रीय बैंक ही जारी कर सकता है और इसका मूल्य बैंक नोटों के समान होगा। इसे पेपर नोट की तरह 2000, 500, 200, 100, 50 और बाकी डेनोमिनेशन में जारी किया जाएगा।
कैसे कर सकेंगे लेनदेन
डिजिटल रुपया एक खास ई-वॉलेट में सुरक्षित रहेगा। इस वॉलेट को बैंक जारी करेंगे लेकिन इसका पूरा नियंत्रण और निगरानी आरबीआई करेगा। इसके जरिए आप पसर्न टू पर्सन (पी2पी) और पर्सन टू मर्चेंट (पी2एम) तरीके से लेनदेन कर पाएंगे। यानी किसी व्यक्ति या दुकानदार को आसानी से पैसे भेज सकेंगे। यूपीआई या लेन-देन के दूसरे ऑनलाइन माध्यम, जहां अपनी सेवाओं के लिए काफी रकम वसूलते हैं, वहीं ई-रुपया के इस्तेमाल से यह शुल्क काफी कम हो जाएगा।
यूपीआई से कैसे अलग: यूपीआई के लिए आपके बैंक खाते में पेपर नोट होना जरूरी है। वहीं, डिजिटल रुपया में बैंक खाता होना जरूरी नहीं है। आप सीधे ई-वॉलेट में ई-रुपया पा सकते हैं और इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। यह ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करेगा, जिससे आपका व्यक्तिगत ब्योरा सुरक्षित रहेगा। धोखाधड़ी का जोखिम भी कम हो जाएगा।
अर्थव्यवस्था को भी फायदा: ई-रुपया के इस्तेमाल से मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों पर शिकंजा कसा जा सकेगा। इसके अलावा क्रिप्टोकरंसी जैसी चिंता सरकारी संस्थाओं की खत्म होगी। ई-रुपया भौतिक नकदी के प्रबंधन में परिचालन लागत को कम करेगा।