New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि आदिवासी समाज के संघर्ष और बलिदान को आजादी के बाद लिखे गये इतिहास में जो जगह मिलनी चाहिए वो नहीं मिली और आज देश दशकों की उस भूल को सुधार रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का अतीत, भारत का इतिहास, भारत का वर्तमान और भारत का भविष्य आदिवासी समाज के बिना पूरा नहीं होता।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासी आंदोलन के प्रतीक मानगढ़ धाम के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को खाका तैयार कर इस दिशा में मिलकर काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री राजस्थान के बांसवाड़ा के पास मानगढ़ धाम में ‘मानगढ़ धाम की गौरव गाथा’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘17 नवम्बर 1913 को मानगढ़ में जो नरसंहार हुआ, वह अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता की पराकाष्ठा थी। मानगढ़ की इस पहाड़ी पर अंग्रेजी हुकूमत ने डेढ़ हजार से ज्यादा युवाओं, बुजुर्गों, महिलाओं को घेरकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था। दुर्भाग्य से आदिवासी समाज के इस संघर्ष और बलिदान को आज़ादी के बाद लिखे गए इतिहास में जो जगह मिलनी चाहिए थी, वो नहीं मिली।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आजादी के अमृत महोत्सव में आज देश दशकों पहले की उस भूल को सुधार रहा है।’’ जब यह कार्यक्रम चल रहा था तो पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानगढ़ धाम, राजस्थान को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया।’’ हालांकि बाद में इस ट्वीट को हटा दिया गया। इस कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद थे।
गहलोत ने अपने संबोधन में इस धाम को ‘राष्ट्रीय स्मारक’ का दर्जा देने की मांग की। मोदी ने कहा, ‘‘मानगढ़ धाम का भव्य विस्तार हम सभी की प्रबल इच्छा है। इसके लिए राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। मेरा चारों राज्यों की सरकारों से आग्रह है कि वे इस दिशा में विस्तृत चर्चा कर एक खाका तैयार करें ताकि गोविंद गुरु का स्मृति स्थल पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाए।’’
इस कार्यक्रम को गुजरात में अगले कुछ सप्ताह में होने वाले एवं राजस्थान और मध्य प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा आदिवासी समुदाय तक पहुंच कायम करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भील और अन्य जनजातियों ने अंग्रेजों से लंबे समय तक लोहा लिया। उसके मुताबिक मानगढ़ पहाड़ी पर 17 नवंबर 1913 को गोविंद गुरु के नेतृत्व में 1.5 लाख से अधिक भीलों ने सभा की, अंग्रेजों ने इस सभा पर गोलियां चलाईं, जिससे लगभग 1500 आदिवासी शहीद हुए।
मोदी की इस यात्रा से गुजरात के उत्तरी हिस्सों में विधानसभा क्षेत्रों पर असर पड़ने की संभावना है। राज्य में साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। राजस्थान में आठ जिले – बांसवाड़ा, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, राजसमंद, सिरोही, प्रतापगढ़ और पाली – अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं, जिसमें कुल 37 विधानसभा क्षेत्र हैं। उनमें 21 पर फिलहाल भाजपा और 11 पर कांग्रेस का कब्जा है। बाकी दो विधानसभा सीटें भारतीय ट्राइबल पार्टी के पास हैं एवं तीन पर निर्दलीय काबिज हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘देश में आदिवासी समाज का विस्तार और उसकी भूमिका इतनी बड़ी है कि हमें उसके लिए समर्पित भाव से काम करने की जरूरत है। राजस्थान और गुजरात से लेकर पूर्वोत्तर और ओडिशा तक, विविधता से भरे आदिवासी समाज की सेवा के लिए आज देश स्पष्ट नीतियों के साथ काम कर रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज ‘वनबंधु कल्याण योजना’ के जरिए जनजातीय आबादी को पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों से जोड़ा जा रहा है।
आज देश में वनक्षेत्र भी बढ़ रहे हैं, वन-संपदा भी सुरक्षित की जा रही हैं और आदिवासी क्षेत्र डिजिटल इंडिया से भी जुड़ रहे हैं। पारंपरिक कौशल के साथ-साथ आदिवासी युवाओं को आधुनिक शिक्षा के भी अवसर मिले, इसके लिए ‘एकलव्य आवासीय विद्यालय’ भी खोले जा रहे हैं।’’ इससे पहले गहलोत ने कहा कि उन्हें खुशी है कि प्रधानमंत्री मोदी ने हाल में राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के मुख्य सचिवों से मानगढ़ धाम के बारे में बात की।
उन्होंने कहा, ‘‘इसका मतलब यह है कि यह आपके दिमाग में था और आपने सोचा था कि आपको अपनी यात्रा से पहले इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए। मैं आपसे फिर से मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने का आग्रह करता हूं।’’ पीआईबी ने जिस ट्वीट को डिलीट किया था उसमें उसने कहा था, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया।’’ मोदी ने कहा कि मानगढ़ धाम का विकास इस क्षेत्र को नयी पीढ़ी का प्रेरणा स्थल बनाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘इन चार राज्यों और भारत सरकार को इसे (धाम को) नयी ऊंचाई पर ले जाना है। भारत सरकार इस दिशा में काम करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।’’ उन्होंने कहा कि इसे राष्ट्रीय स्मारक कहा जा सकता है या इसे कोई अन्य नाम भी दिया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इसको कोई राष्ट्रीय स्मारक कह सकता है, कोई संकलित व्यवस्था कह सकता है, नाम तो कोई भी दे देंगे, लेकिन भारत सरकार और इन चार राज्यों के जनजातीय समाज का इससे सीधा संबंध है। इन चारों राज्यों और भारत सरकार को मिलकर इसको और नयी ऊंचाइयों पर ले जाना है, उस दिशा में भारत सरकार पूरी तरह कटिबद्ध है।’’ प्रधानमंत्री ने याद करते हुए कहा कि सोमवार शाम ही उन्होंने अहमदाबाद-उदयपुर ब्रॉड गेज लाइन पर एक ट्रेन को हरी झंडी दिखाई थी।
उन्होंने राजस्थान के लोगों के लिए 300 किलोमीटर की लाइन के महत्व के बारे में बताया क्योंकि यह गुजरात के कई जनजातीय क्षेत्रों को राजस्थान के जनजातीय क्षेत्रों से जोड़ेगी और इन क्षेत्रों में औद्योगिक विकास एवं रोजगार को बढ़ावा देगी। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल, केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल उपस्थित थे।