10 साल बाद ट्रूडो युग का अंत, जस्टिन ट्रूडो इस्तीफे के साथ छोड़ गए कई चुनौतियां

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ओटावा : जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को कनाडा के प्रधानमंत्री (PM) और लिबरल पार्टी के नेता (Leader) के रूप में अपने इस्तीफे (resignation) की आधिकारिक घोषणा कर दी. करीब एक दशक तक कनाडा की राजनीति के शीर्ष पर रहने के बाद यह ट्रूडो के युग का अंत (Trudeau era ends) है. पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष और जनता के समर्थन में तेजी से गिरावट ने ट्रूडो को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया. सोमवार को दिए गए एक बयान में, ट्रूडो ने हाल के वर्षों की मुश्किलों को स्वीकार किया.

कनाडा में नए नेता के चुनाव तक ट्रूडो कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में काम करते रहेंगे, जिससे सरकार की निरंतरता बनी रहे. लिबरल पार्टी एक आंतरिक प्रक्रिया के माध्यम से अपने नए नेता का चयन करेगी. यह प्रक्रिया पार्टी के नियमों और समयसीमा के अनुसार होगी. लिबरल पार्टी के नए नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाएगा, बशर्ते पार्टी संसद में बहुमत बनाए रखे. रिपोर्ट्स के अनुसार, संसद की कार्यवाही 24 मार्च तक स्थगित रहेगी, जिससे नए नेतृत्व को समायोजन का समय मिल सके.

ट्रूडो का इस्तीफा लिबरल पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिसे अब अक्टूबर 2025 के लिए निर्धारित अगले संघीय चुनाव से पहले नेतृत्व परिवर्तन से गुजरना होगा. ट्रूडो ने बताया कि उन्होंने अपनी लिबरल पार्टी के अध्यक्ष से नए नेता के चयन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है. अगले नेता के चुनाव तक वह कार्यवाहक पीएम बने रहेंगे.

ट्रूडो के इस्तीफे के साथ, लिबरल पार्टी के भीतर लीडरशिप के लिए एक नई रेस शुरू हो गई है. आर्थिक नीति पर असहमति के कारण दिसंबर में ट्रूडो के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाली उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड एक संभावित दावेदार के रूप में उभरी हैं. अन्य नामों में इनोवेशन मिनिस्टर फ्रांस्वा-फिलिप शैम्पेन और पूर्व रक्षा मंत्री अनीता आनंद शामिल हैं.

जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब देश को अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव का सामना करना पड़ रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडाई उत्पादों पर 25% आयात शुल्क लगाने की धमकी दी है. ट्रंप ने यह कदम प्रवासन और व्यापार असंतुलन को लेकर अपनी चिंताओं का हवाला देते हुए उठाने की चेतावनी दी है. इन धमकियों ने कनाडा की अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है, जो ट्रूडो के उत्तराधिकारी के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाएगी.

ट्रूडो का लगभग दस साल लंबा कार्यकाल कई अहम फैसलों से भरा हुआ है. इस दौरान उन्होंने कैनाबिस को लीगल करने, कार्बन टैक्स लागू करने और अमेरिका के साथ एक संशोधित व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने जैसे बड़े फैसले लिए.

हालांकि, उनके अंतिम वर्षों में आंतरिक असंतोष, आर्थिक कठिनाइयों और लिबरल पार्टी की गिरती लोकप्रियता ने उनके कार्यकाल को मुश्किल बना दिया था. ट्रूडो के इस्तीफे के साथ एक ऐसे राजनीतिक करियर का अंत हुआ, जो बड़ी उम्मीदों के साथ शुरू हुआ था, लेकिन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते संकटों के बीच समाप्त हो गया.

कनाडा में प्रधानमंत्री का चुनाव संसदीय प्रणाली के तहत किया जाता है. कनाडा का राजनीतिक ढांचा ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली पर आधारित है, जहां पीएम का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा नहीं, बल्कि संसद में बहुमत वाले दल द्वारा किया जाता है.

कनाडा में प्रधानमंत्री बनने के लिए पहले व्यक्ति को संसद के निचले सदन, जिसे हाउस ऑफ कॉमन्स कहा जाता है, का सदस्य होना यानी सांसद (Member of Parliament – MP) होना अनिवार्य है. हाउस ऑफ कॉमन्स में कुल 338 सीटें होती हैं और विभिन्न राजनीतिक दल इन सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करते हैं.

कनाडा में प्रत्येक राजनीतिक दल का एक नेता होता है. चुनाव में जो भी दल सबसे अधिक सीटें (अधिकांश मामलों में 170 या उससे अधिक) जीतता है, उस दल का नेता स्वचालित रूप से प्रधानमंत्री बनने के लिए योग्य होता है. कनाडा में प्रधानमंत्री का कार्यकाल निर्धारित नहीं है, लेकिन आमतौर पर 4 साल के बाद संघीय चुनाव होते हैं. प्रधानमंत्री तब तक पद पर बने रहते हैं जब तक कि वे संसद में बहुमत बनाए रखते हैं. अगर प्रधानमंत्री की सरकार संसद में बहुमत खो देती है, तो या तो उन्हें इस्तीफा देना होता है या गवर्नर जनरल संसद भंग कर देते हैं और नए चुनाव कराए जाते हैं.

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