कैनावेरल : मानव जाति की चांद पर जीत के नित नये किस्से अब आम हो रहे हैं। अभी बीते 2023 में भारत ने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता पायी थी। वहीं साल 2024 में एक अमेरिकी निजी कंपनी ने यह कारनामा कर दिखाया था। तब एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज करते हुए पहला निजी अंतरिक्ष यान ‘ओडीसियस’ ने चांद पर लैंड करने और सिग्नल भेजने में सफलता हासिल की थी।
इसी तर्ज पर अब एक निजी अमेरिकी अंतरिक्ष परिवहन सेवा कंपनी ‘स्पेसएक्स’ ने आज अमेरिका और जापान की कंपनियों के लिए दो चंद्रयानों का प्रक्षेपण किया। वहीं इन दोनों चंद्रयानों को नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के कैनेडी स्पेस सेंटर से मध्यरात्रि में रॉकेट से रवाना किया गया, जो चंद्रमा पर जाने वाले निजी अंतरिक्ष यान की श्रृंखला में ऐसे नए यान हैं।
जानकारी दें कि, तोक्यो स्थित ‘आईस्पेस’ का यह दूसरा प्रयास है, जिसका पहला यान दो साल पहले चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस बार, अध्ययन के लिए यान में चंद्रमा की मिट्टी को इकट्ठा करने के वास्ते एक ‘स्कूप’ के साथ एक रोवर है तथा भविष्य के अनुसंधानकर्ताओं के लिए संभावित भोजन एवं पानी के स्रोतों का परीक्षण करने की योजना है।
चंद्रमा पर अनुसंधान के लिए नवोदित टेक्सास स्थित ‘फायरफ्लाई एयरोस्पेस’ NASA के लिए 10 प्रयोग कर रहा है। फायरफ्लाई का नाम अमेरिका के दक्षिणपूर्वी फायरफ्लाइज की एक प्रजाति के नाम पर रखा गया है, उसका यान ‘ब्लू घोस्ट’ सबसे पहले चांद पर पहुंचेगा।
वहीं ‘आईस्पेस’ के यान का नाम ‘रेजिलिएंस’ है जो ‘फायरफ्लाई’ के यान से थोड़ा बड़ा है। ‘रेजिलिएंस’ को चांद पर पहुंचने में चार से पांच महीने लगेंगे और उसका लक्ष्य मई के अंत या जून की शुरुआत में चांद के नजदीकी हिस्से में और भी सुदूरवर्ती उत्तर में स्थित ‘मारे फ्रिगोरिस’ में उतरना है। ‘आईस्पेस’ के संस्थापक सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) ताकेशी हाकामाडा ने इस सप्ताह केप कैनावेरल से कहा, ‘‘हमें नहीं लगता कि यह कोई आगे निकलने की होड़ है। कुछ लोग कहते हैं कि चांद पर पहुंचने की होड़ मची है, लेकिन यह उस बारे में नहीं है।”