काबुल : अफगानिस्तान के तालिबानी शासकों को बड़ी कूटनीतिक सफलता हाथ लगी है। खाड़ी के प्रभावशाली मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात ने नए तालिबानी राजदूत के परिचय पत्र को स्वीकार कर लिया है। चीन के बाद यूएई ने अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार के नियुक्त किए गए राजदूत के परिचय पत्र को स्वीकार किया है। यूएई ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है जब दुनिया के किसी भी देश ने अभी तालिबानी सरकार को मान्यता नहीं दी है। इस घटनाक्रम को तालिबानी सरकार के लिए बड़ी जीत करार दिया जा रहा है। तालिबानी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से ही अपने आका रहे पाकिस्तान को दरकिनार कर दिया है और खुद ही दुनिया से संपर्क कर रही है। वहीं पाकिस्तान के लिए यूएई का कदम बड़ा झटका माना जा रहा है।
इस पूरे मामले में रोचक बात यह है कि यूएई की सरकार ने अभी तक तालिबानी सरकार को मान्यता नहीं दी है। विश्लेषकों का कहना है कि यूएई का कदम यह दर्शाता है कि तालिबानी सरकार को लेकर दुनिया के देशों में दो फाड़ हो गया है। तालिबानी सरकार के विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है कि बदरुद्दीन हक्कानी को यूएई में नया राजदूत नियुक्त किया गया है। उसने हक्कानी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी। वह पहले यूएई में तालिबान के प्रतिनिधि रह चुके थे। बदरुद्दीन हक्कानी का संबंध तालिबानी गृहमंत्री और कुख्यात हक्कानी नेटवर्क के सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी से नहीं है लेकिन उनकी टीम के सदस्य रहे हैं।
सिराजुद्दीन ने जून महीने में यूएई के नेता शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नहयान से मुलाकात की थी। सिराजुद्दीन हक्कानी को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया गया है और अमेरिका सरकार ने उस पर इनाम घोषित किया है। तालिबानी गृहमंत्री पर कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं। तालिबान की सरकार लगातार दुनियाभर के देशों से संपर्क कर रही है ताकि उसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल सके। पिछले सप्ताह ही उज्बेकिस्तान के पीएम अब्दुल्ला अरिपोव ने अफगानिस्तान का दौरा किया था। तालिबान की 3 साल पहले सरकार बनने के बाद यह किसी बड़े विदेशी नेता का पहला दौरा है।
संयुक्त राष्ट्र ने साफ तौर पर कहा है कि जब तक महिलाओं और लड़कियों पर प्रतिबंध लगे हुए हैं, तालिबान की सरकार को मान्यता देना ‘लगभग असंभव’ है। चीन और यूएई के इस कदम को पाकिस्तान के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है। पाकिस्तान अब तक अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलवाने के नाम पर तालिबान को ब्लैकमेल कर रहा था। पाकिस्तान दबाव डाल रहा था कि तालिबान टीटीपी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करे तभी चीन और यूएई जैसे उसके दोस्त देश मान्यता दें लेकिन ऐसा हुआ नहीं। तालिबान ने साफ कह दिया है कि टीटीपी आतंकी पाकिस्तान में मौजूद हैं। तालिबान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर कई बार झड़प हो चुकी है।