मुंबई: एनसीपी (NCP) नेता छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) के 75वें जन्मदिन के छगन भुजबल के जन्मदिन को लेकर अमृत महोत्सव आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में एनसीपी नेताओं के साथ उद्धव ठाकरे भी शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने भुजबल के करियर की तारीफ की। इसके बाद उन्होंने कहा कि, शिवसेना छोड़ने के बाद परिवार को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
इस दौरान उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने शिंदे गुट पर निशाना साधते हुए कहा कि, “कोई नहीं जानता कि नियति के मन में क्या है। लेकिन अब नियति पुरुषों के हाथ में मशाल देना चाहती है।” वहीं, अजित पवार ने कहा कि, ‘एनसीपी के नेता बनने के बाद अगर हमें चार महीने का और वक्त मिलता तो सीएम एनसीपी से होता। वहीं उद्धव ने उनकी बात को और बढ़ते हुए कहा कि, यदि भुजबल ने शिवसेना नहीं छोड़ी होती तो वह सीएम होते।’
इस कार्यक्रम में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस के गठबंधन महा विकास आघाडी (MVA) के कई नेता शामिल थे। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, राकांपा प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस के नेता बालासाहेब थोराट भी कार्यक्रम में शरीक हुए।
शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने कहा कि, छगन भुजबल ने शिवसेना नहीं छोड़ी होती तो वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए होते। ठाकरे ने कहा, “अब मैं ऐसा व्यक्ति बन गया हूं, जिसे कोई झटका नहीं लगता। लेकिन जब भुजबल ने शिवसेना छोड़ी थी, तो मैं स्वीकार करता हूं कि हमारा परिवार स्तब्ध रह गया था। वह गुस्सा (जो उस समय निकला) राजनीतिक था। हम लंबे समय तक इस बात को पचा नहीं पाए कि हमारे परिवार का एक सदस्य हमें छोड़कर चला गया है।”
वहीं, अजित पवार ने कहा, “जब शिवसेना के 15 विधायक पार्टी छोड़ रहे थे, तब उद्धव ठाकरे को छगन भुजबल (राकांपा नेता) की मदद लेनी चाहिए थी। वह ऐसे परिदृश्यों के स्वामी हैं। अगर आपने उनसे संपर्क किया होता, तो आप अभी भी महाराष्ट्र के सीएम होते।”