पाकिस्तान से आए लोगों ने बसाया था उल्हासनगर, 14 अगस्त को हर साल मनाते हैं ‘स्मृति दिवस’

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नई दिल्ली: 14 अगस्त 1947 ये वो दिन है जब भारत को अंग्रेजों ने विभाजित कर दिया था। इस दिन एक नया देश विश्वपटल पर सामने आया जिसका नाम था पाकिस्तान। इस बंटवारे के बाद दोनों ही तरफ से लाखों की संख्या में लोगों ने पलायन किया। पाकिस्तान से आए ऐसे ही सिख और सिंधी समाज के लोगों ने महाराष्ट्र के उल्हासनगर को बसाया था। इन्हें पाकिस्तान में अपने घर और लोगों को छोड़ने का दर्द था। इसी कारण ठाणे के उल्हासनगर में हर साल विभाजन की याद में 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाया जाता है।

बंटवारे का दर्द झेल चुके लोग बताते हैं कि देश के बंटवारे का दर्द कभी भुलाया नहीं जा सकता है। नफरत और हिंसा की वजह से उन्हें विस्थापित होना पड़ा था। अपनी जड़ों से विस्थापित होने वालों को यह एक श्रद्धांजलि है। पाकिस्तान से आए लोगों ने उल्हासनगर को अपनी मेहनत से रहने लायक बनाया। बताया जाता है कि उल्हासनगर देश का एकमात्र शहर है, जो अपना स्थापना दिवस मनाता है। देश की पहली ट्रेन ठाणे और मुंबई के बीच 1865 में जब शुरू हुई थी, तब उस ट्रेन के इंजन के लिए पानी की व्यवस्था जिस वालधुनी नदी से हुई थी, वह उल्हासनगर से होकर ही गुजरती है।

साल 1939 से लेकर 1945 के बीच यह शहर कल्याण कैंप था। यहां ब्रिटिश सेना का मिलिट्री कैंप हुआ करता था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यहां सिपाही रहते थे। 1945 में विश्व युद्ध खत्म होने के बाद यहां से ब्रिटिश आर्मी चली गई। कैंप 2 साल तक बंद पड़ा रहा। उल्हासनगर नाम रखने से पहले इस शहर का नाम कल्याण कैंप था। उल्हासनगर शहर की स्थापना 8 अगस्त 1949 में हुई थी। इस शहर की स्थापना का शिलालेख तत्कालीन गवर्नर सी। राजगोपालाचारी ने रखा था।

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