बिहार के शिवहर से दिल्ली जा रही जिस बस के यूपी के उन्नाव में टैंकर से टकराने के बाद बुधवार को 18 यात्रियों की जान गई, वह बिना फिटनेस, बीमा के तो चल ही रही थी, चालानों का रिकार्ड भी बना रही थी। पिछले पांच साल में टैक्स बकाए पर इस बस के 93 चालान हुए। परिवहन सूत्रों का कहना है कि 11 से ज्यादा चालान होने पर वाहन सीज कर दिया जाता है। लेकिन यह बस सीज होना तो दूर, बिहार से दिल्ली तक धड़ल्ले से दौड़ाई जा रही थी। यानि अगर कार्रवाई होती तो यह बस आठ बार सीज की जाती।
परिवहन माफियाओं के खेल से वाकिफ लोगों का कहना है कि टैक्स बकाया होने पर वाहन सीज करने के अलावा पंजीकृत पते पर नोटिस भी जाते हैं। इस बस के मालिक या फर्म का स्थायी पता था ही नहीं। लिहाजा कागज पर चालान कटते रहे, फाइलों में नोटिस लगते रहे और बस यात्रियों की जान से खिलवाड़ करने के लिए चलाई जाती रही। उन्नाव में 18 यात्रियों की जान लेने वाली खूनी बस के रजिस्ट्रेशन से संचालन तक में गड़बड़ी सामने आ चुकी है। अब नया खुलासा हुआ है कि 68 अन्य बसों का भी महोबा में पंजीकरण हुआ था। पूरी प्रक्रिया में घनघोर अनियमितता बरती गई। मामले में एक एआरटीओ को दंडित भी किया गया। इसके बावजूद बसों का संचालन नहीं रोका गया।
अब परमिट की होगी जांच
हादसे के बाद नियमों में बदलाव करते हुए कहा गया कि बिहार से दूसरे राज्यों को जाने वाली बसों की परमिट की जांच होगी। बिहार में राज्य सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार बस ओवरटेक करने के कारण हादसा हुआ है। बस चलाते समय चालक ने सावधानी नहीं बरती, जबकि उसे ऐसा करना चाहिए था। यही नहीं बस में कई गड़बड़ियां सामने आई हैं। बस के कई पेपर नहीं थे।