तमिलनाडु: सेंथिल बालाजी पर मचा बवाल! महज 5 घंटे में मंत्री की बर्खास्तगी पर पलटे गर्वनर, अब ली जाएगी अटॉर्नी जनरल से सलाह

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नई दिल्ली. जहां एक तरफ तमिलनाडु (Tamil Nadu) के राज्यपाल आरएन रवि (R.N Ravi) ने बीते गुरुवार शाम 7 बजे कैश फॉर जॉब स्कैम के आरोप में जेल में बंद मंत्री सेंथिल बालाजी को बर्खास्त कर दिया था। वहीं अपना यह फैसला उन्होंने महज पांच घंटे बाद वापस भी ले लिया।

गौरतलब है कि गर्वनर ने बालाजी को तत्काल प्रभाव से मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करने का आदेश भी जारी किया था। लेकिन अब वह अटार्नी जनरल की सलाह के बाद ही इस पर अंतिम फैसला लेंगे। इधर कुछ अन्य मीडिया रिपोटर्स की मानें तो, गर्वनर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से सलाह लेने के बाद अपना फैसला वापस लिया था।

उधर CM एमके स्टालिन ने इस फैसले को गलत बताया था और इसे कोर्ट में चुनौती देने की बात कही थी। मामले पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा, “राज्यपाल के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं हैं, हम कानूनी रूप से इसका सामना करेंगे।” कहा जा रहा है राज्यपाल ने सेंथिल को बर्खास्त करने के लिए CM एमके स्टालिन से भी राय-मशविरा नहीं किया था।

देर रात गवर्नर हाउस के सूत्रों ने बताया था कि, गवर्नर ने इस मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल से बात की और अपने फैसले को रोक दिया था। बालाजी अब मंत्री बने रहेंगे। प[ता हो सेंथिल पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। इस मामले बाबत बीते 14 जून को ED ने उन्हें गिरफ्तार किया था। बाद में कोर्ट ने बालाजी को 12 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

इधर बीते गुरूवार को हुए इस घटनाक्रम के बाद, DMK समर्थकों ने चेन्नई में DMK मुख्यालय अन्ना अरिवलयम के पास पोस्टर चिपकाए और राज्यपाल आरएन रवि से उनकी इस कारवाई के खिलाफ सवाल उठाए, जो अभी भी कैबिनेट में हैं और उनके खिलाफ कई मामले भी दर्ज हैं।

अब यहां सवाल यह उठ रहें हें कि क्या राज्यपाल के पास किसी कैबिनेट मंत्री को उसके पद से बर्खास्त करने का अधिकार है। मामले पर एक निजी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक संविधान के 164 (1) अनुच्छेद के तहत यह प्रावधना है कि राज्य में मुख्यमंत्री का चयन राज्यपाल बहुमत के आधार पर करता हैं। वहीं मंत्रियों का चयन CM के सलाह पर राज्यपाल करते हैं।

वहीं इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्यपाल के पास न ही किसी मंत्री के हटाने का अधिकार है और ना ही किसी की नियुक्ति का। वे बिना मुख्यमंत्री की सलाह के किसी मंत्री को नियुक्त भी नहीं कर सकते। फिलहाल मामले को लेकर तमिलनाडु में बवाल मचा हुआ है।

 

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