नई दिल्ली : देश (Country)के दिग्गज क्रिकेटर विराट कोहली के एक वीडियो पर उत्तराखंड में हलचल बढ़ गई। वीडियो पर संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य और केंद्र से जवाब मांगा है। जानें अदालत ने क्या पूछा है।
बच्चों के लिए खेल के मैदानों की कमी के बारे में जारी क्रिकेटर विराट कोहली के एक वीडियो पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार को सुनवाई की। अदालत ने इस मामले पर राज्य और केंद्र सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने उत्तराखंड के खेल सचिव, शहरी विकास सचिव और भारत सरकार के खेल सचिव समेत अन्य को नोटिस जारी करते हुए कड़े सवाल पूछे।
वीडियो में कोहली की कुछ बच्चों के साथ बातचीत है। इसमें स्पोर्ट सेक्टर की जमीनी हकीकत उजागर हुई है। वीडियो सामने आने के बाद हंगामा हो गया। इस मामले में कुछ बच्चों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भी लिखा था। बच्चों ने पत्र में कहा था कि जब वे ‘गली’ यानी तंग सड़कों पर क्रिकेट खेलते हैं, तो जगह की कमी के कारण उनके खेल के साथ-साथ निवासियों की शांति भी बाधित होती है।
अंतत: अदालत ने वीडियो पर संज्ञान लिया। अदालत ने राज्य और केंद्र सरकारों से बेहद कड़े सवाल पूछे। उच्च न्यायालय ने कहा कि कई स्थानों पर बच्चों के लिए खेल के मैदान नहीं हैं। बच्चे खेल सुविधाओं से वंचित हैं। सरकार बताए आखिर बच्चों को खेल का मैदान मुहैया कराने के लिए उसने कौन सी नीति लागू की है। मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी।
यह कहते हुए कि खेल के मैदान बच्चों के लिए आवश्यक हैं, उच्च न्यायालय ने सरकार से बच्चों के लिए खेल के मैदानों के संबंध में अपनी नीति बताने को कहा है। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत कोई योजना है जिसमें बच्चों के शारीरिक विकास के लिए खेल के मैदान बनाए जाएं।
अदालत ने कहा कि खेलों से शारीरिक फिटनेस बढ़ती है। इसके लिए बुनियादी ढांचे की जरूरत होती है। इन दिनों बच्चे अपना समय कंप्यूटर, मोबाइल फोन और लैपटॉप एवं अन्य चीजों पर बिता रहे हैं। अदालत ने कहा कि शारीरिक गतिविधियों की कमी से शारीरिक और मानसिक विकास भी प्रभावित होता है। देखने वाली बात होगी कि उत्तराखंड के खेल सचिव, शहरी विकास सचिव और भारत सरकार के खेल सचिव की ओर से अदालत के सवाल पर क्या जवाब आता है।