नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आगामी भारतीय-अमेरिकी स्पेस मिशन के लिए अपने सबसे युवा अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का चयन प्राइम एस्ट्रोनॉट के रूप में किया है। शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। हाल ही में शुक्ला को पदोन्नति दी गई थी।
शुभांशु शुक्ला राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र हैं। उन्हें 17 जून 2006 को भारतीय वायु सेना के फाइटर विंग में कमीशन दिया गया था। वह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रहने वाले हैं। उनका जन्म 10 अक्तूबर, 1985 को लखनऊ में ही हुआ था। शुभांशु लखनऊ के त्रिवेणीनगर के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम शंभूदयाल शुक्ला है। उनकी शुरुआती पढ़ाई सीएमएस अलीगंज से हुई है।
शुभांशु एक कॉम्बैट लीडर और टेस्ट पायलट हैं, जिन्हें लगभग 2000 घंटे की उड़ान का अनुभव है। समय के साथ-साथ उन्होंने अपने क्षेत्र में निपुणता हासिल की । उन्होंने सुखोई 30MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और एन-32 सहित कई तरह के लड़ाकू विमान उड़ाए हैं।
शुभांशु ने रूस और अमेरिका में चार साल तक कठिन प्रशिक्षण हासिल किया है। ISRO के इस मिशन में चयनित होने से पहले उन्हें गगनयान मिशन के लिए भी चयनित किया जा चुका है। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें बधाई दी थी। शुभांशु शुक्ला के सहयात्री के रूप में ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर का चयन किया गया है, जो अंतरिक्ष यात्रियों में सबसे उम्रदराज हैं। उनका जन्म 26 अगस्त, 1976 को केरल के थिरुवझियाद में हुआ है। नायर भी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र हैं और वायु सेना अकादमी में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर प्राप्तकर्ता हैं। उन्हें 19 दिसंबर, 1998 को भारतीय वायु सेना की लड़ाकू शाखा में कमीशन दिया गया था।
ग्रुप कैप्टन नायर ए कैटगरी के फ्लाइंग इन्स्ट्रक्टर हैं, जो किसी पायलट द्वारा प्राप्त की जाने वाली उच्चतम श्रेणी है। उन्हें लगभग 3,000 घंटे की उड़ान का अनुभव है। वह भी टेस्ट पायलट हैं। उन्होंने भी सुखोई-30MKI, मिग-21, मिग-29, हॉक, डोर्नियर और एएन-32 सहित कई विमान उड़ाए हैं।