World War II के बाद US ने भेजा था गेहूं,जानिये जापानियों ने कैसे तैयार किया Instant Ramen Noodles

0 604

नूडल्स तो आप खाते ही है कभी सोचा की ये कहा से बना और इसे किसने बनाया नही तो आज हम आपको बतायेगें कैसे बना नूडल्स दरसल इंस्टेंट रामेन नूडल्स (Instant Ramen Noodles)हर हॉस्टलर का एक सहारा है था और हमेशा रहेगा। अक्सर अकेले में रात के 2 बजे वाली भूख इसी से मिटाई जाती है। महीने के आख़िरी हफ़्ते (Month End) में जब खिचड़ी खाने के दिन आ जाते हैं, तो सस्ते में टेस्ट बदलने का सबसे अच्छा उपाय है इंस्टेट नूडल्स जी हा भारत में इंस्टेंट नूडल्स का मतलब मैगी (Maggi)हो चुका है। अब मैगी सुप्रिमेसी यहां दशकों से चली आ रही है, लेकिन एक तबका आज भी इंस्टेंट रामेन नूडल्स का फ़ैन है।

अब आपको बता दे कि जैसा की नाम से ही पता चल रहा है इंस्टेंट रामेन नूडल्स चुटकियों में तैयार हो जाते हैं। इसे कहीं भी, कभी भी आसानी से खाया जाता है। घर से दूर रह रहे बैचलर्स की भूख का यही एक उपाय है, इंस्टेंट नूडल्स। लगभग हर बैचलर और हॉस्टलर के कमरे में कुछ मिले न मिले इंस्टेंट नूडल्स के कप या पैकेट्स ज़रूर मिल जाएंगे ये गारंटी है.

अब आपके मन में सवाल ये है की कहां से आया इंस्टेंट रामेन नूडल्स? तो हम आपको बताते है एक बात और ये सवाल अगर किसी से पूछा जाए और जवाब न पता हो तो तुक्का लगाकर भी सबसे पहले एक ही नाम मन में आयेगा- जापान(Japan) क्यूकि Vox के एक लेख के अनुसार, 2000 में एक पोल किया गया जिसमें सवाल था 20वीं सदी में जापान का टॉप आविष्कार क्या था, ज़्यादातार जापानियों का जवाब था- इंस्टेंट रामेन नूडल्स ही कहते है की 48 वर्षीय मोमफ़ुकु एंडो (Momofuku Ando

) ने 1958 में रामेन इंस्टेंट नूडल्स का आविष्कार किया था एंडो, जापान की निसिन कंपनी (Nissin Company) के संस्थापक थे. एंडो ने नूडल का पूरा मैनुफ़ेक्चरिंग प्रोसेस- स्टिमिंग, सिज़निंग, तेल के ताप में नूडल की डिहायड्रेटिंग सब ख़ुद किया

एंडो की आत्मकथा के अनुसार जब द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War)के बाद सर्दी कि एक रात को उन्होंने ओसाका (Osaka)एक अनलाइसेंस्ड फ़ूड स्टॉल पर रामेन बिकते देखा तो गरम-गरम रामेन खाते लोगों के चेहरे पर उन्हें एक अलग ख़ुशी नज़र आई और वही पर एंडो को भूखों की इस लाइन में रामेन की बड़ी डिमांड नज़र आई। रामेन की यही छवि उनके दिमाग़ में हमेशा के लिए बस गई और फिर क्या था द्वितीय विश्व युद्ध ख़त्म हो चुका था और जापान में लोग भूख से दम तोड़ रहे थे। SCMP के एक लेख में जिक्र है की 1953 और 1954 के दौरान अमेरिका में गेहूं का काफ़ी उत्पाद काफ़ी ज़्यादा हुआ था तब अमेरिका ने ये गेहूं मदद के तौर पर जापान, कोरिया और ताइवान भेजा ताकी लोग इस गेहूं से ब्रेड बना सकें और भुख से बच सके

जब लोग भूख से दम तोड़ रहे थे तब जापान सरकार ने देशवासियों को ब्रेड बनाने के लिए प्रोत्साहित किया था फिर स्वास्थ्य मंत्रालय में काम कर रहे कुनीदारो एरिमोटो Kundiaro Arimoto से एंडो की मुलाकात हुई और एंडो ने कह दिया, “ब्रेड के साथ टॉपिंग्स या साइड डिशेज़ भी लोगो को चाहिए। लेकिन जापानी सिर्फ़ चाय के साथ ब्रेड का सेवन कर रहे थे ये उनके न्युट्रिशन बैलेंस के लिए सही नहीं था। पूर्व में नूडल खाने का चलन है हम नूडल को प्रमोट क्यों नहीं करते, इसे जापानी पहले से ही पसंद करते हैं.” कुनीदारो ने इसके जवाब में एंडो से ही इसका सॉल्यूशन ढूंढने को कहा और एंडो ने इंस्टेंट रामेन नूडल के रूप में हल निकाल भी लिया फिर क्या था बीतते सालों में इसमें कई तरह के परिवर्तन किए गए और अभी भी किए जा रहे हैं. एशिया से निकलकर रामेन अब दुनियाभर में पसंद किया जाने लगा है हर किसी के रोज़ाना खाने का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।

बता दे कि 1950 के दशक में एंडो ने रामेन इंस्टेंट नूडल बनाकर जापानियों की भूख का इलाज कर दिया और लोगो को राहत मिली इसे खाने के लिए कटोरी और चॉपस्टिक्स जापान में हर घर, दुकान, स्टॉल पर अब मिल जाते हैं। बता दे कि हर देश में ऐसा नहीं था ख़ासतौर पर पश्चिम देशों में एंडो ने एक बार एक अमेरिकी सुपरमार्केट मैनेजर को नूडल को तोड़कर कॉफ़ी मग में डालकर खाते देखा. इसके बाद निसिन ने कप नूडल का विकास किया और पैकेजिंग का पैटेंट भी करवा लिया, ये साल था 1971 जब सबसे पहले ये कप कागज़ के बनते थे, इसके बाद Polystyrene Foam का इस्तेमाल किया गया। मोमोफ़ुकू एंडो की 2007 में मौत हो गई लेकिन उनकी लेगेसी और उनका दिया रामेन सदा के अमर हो गया

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.