लखनऊ: किसान आंदोलन इस समय देश में बड़ा मुद्दा बना हुआ है। लगतार उनकी मांगों पर सरकार कुछ निर्णनय निकालने की कोशिश कर रही है। ऐसे में अब उत्तर प्रदेश सरकार ने आंदोलनकारी किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित की है। साथ ही एक माह के भीतर रिपोर्ट देने को भी कहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर औद्योगिक विकास विभाग के सचिव अभिषेक प्रकाश ने नोएडा-ग्रेटर नोएडा में आंदोलनरत किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश जारी किया। जारी निर्देशों के अनुसार समिति को भूमि अधिग्रहण और मुआवजा विवाद के संबंध में किसानों द्वारा की गई शिकायतों की जांच का काम सौंपा गया है।
यह 21 फरवरी 2024 और 27 अगस्त 2024 के पूर्व शासनादेशों में उजागर मामलों की समीक्षा और जांच भी करेगी। इसमें कहा गया है कि शासन ने अपेक्षा की है कि समिति हितधारकों के साथ सुनवाई करेगी, पूर्व निर्णयों का सत्यापन करेगी और प्रदर्शनकारियों की चिंताओं को दूर करने के लिए खाका तैयार करेगी। समिति में विशेष सचिव (राजस्व), उप सचिव (औद्योगिक विकास), उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए) के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, प्रभावित क्षेत्र के जिला प्रशासन के प्रतिनिधि और स्थानीय प्राधिकरण के प्रतिनिधि शामिल हैं। पुलिस के मुताबिक, मंगलवार को गौतमबुद्ध नगर में किसान संगठनों के नेताओं समेत सौ से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया।
प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए गए लोगों में महिलाएं और बुजुर्ग शामिल थे, जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया। प्रदर्शनकारी सरकार द्वारा पहले अधिग्रहित की गई अपनी जमीन के मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे। वहीं, नोएडा में किसानों की गिरफ्तारी पर भारतीय किसान यूनियन ने विरोध जताया और कहा कि किसानों की गिरफ्तारी पूरी तरह से गलत है, किसान अपनी जायज मांगों को लेकर नोएडा में प्रदर्शन कर रहे थे। जिस तरह से प्रशासन ने किसानों के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया और उन्हें गिरफ्तार किया, वह पूरी तरह से गलत है।