आगरा: आगरा लोहामंडी स्थित एक नर्सिंग होम में डिलीवरी के बाद गरीब महिला के नवजात बच्चे को बेचने का मामला पुलिस तक पहुंचा है। महिला की शिकायत के बाद डॉक्टर सहित तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। बच्चा दिल्ली के दंपति के पास है। आरोप है कि बच्चा मरा पैदा हुआ है यह बताया गया था। पुलिस बच्चे की बरामदगी के प्रयास कर रही है। महिला ने पुलिस आयुक्त से शिकायत की थी। उनके निर्देश पर मुकदमा दर्ज हुआ है।
जगदीशपुरा क्षेत्र निवासी नीलम पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह से मिली थीं। प्रार्थना पत्र दिया। बताया कि वह आठ माह की गर्भवती थीं। सात जुलाई को लोहामंडी स्थित ऊषा देवी नर्सिंग होम गई थीं। डॉक्टर ने जांच की। बताया कि बच्चे की दिल की धड़कन नहीं है। ऑपरेशन करके बच्चा निकालना होगा। 20 हजार का खर्चा आएगा। वह घबरा गई। हॉस्पिटल में पश्चिमपुरी निवासी माया नाम की महिला काम करती है। महिला ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। इलाज का खर्चा वह उठाएगी। बच्चा जिंदा हो तो उसे दे देना। माया ने इलाज के लिए 20 हजार रुपये जमा कराए। नार्मल डिलीवरी हुई। बच्चा ठीक था। बेटा हुआ था।
दो दिन बाद उसने माया से अपना बच्चा मांगा। माया ने देने से इनकार कर दिया। कहा कि बच्चा तो उसने अपने मिलने वाले ज्ञान सिंह को दे दिया। उसी ने तो कहा था कि इलाज का खर्चा उठा लेना। ज्ञान सिंह ने बच्चे को आगे दिल्ली के किसी निसंतान दंपति को बेच दिया। पुलिस आयुक्त ने शिकायत को गंभीरता से लिया। एसीपी लोहामंडी दीक्षा सिंह को जांच के आदेश दिए थे। एसीपी ने बताया कि महिला की तहरीर पर अपहरण, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, जान से मारने की धमकी देने की धारा के तहत मुकदमा लिखा गया है। छानबीन में पता चला है कि बच्चा दिल्ली में है। पुलिस उसकी बरामदगी के प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री पोर्टल की शिकायत के निस्तारण को लेकर शासन गंभीर है। किसी भी सूरत में इस मामले में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाती है। नवजात बच्चे को बेचने के मामले में लोहामंडी पुलिस की लापरवाही उजागर हुई है। लोहामंडी पुलिस कठघरे में है। महिला ने बताया कि उसने इस संबंध में मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की थी। थाना लोहामंडी पुलिस ने हॉस्पिटल वालों का पक्ष लिया। जो उन्होंने बताया उसे सही मान लिया। पुलिस ने उसे व पति को धमकाया। जेल भेजने की धमकी देकर पति से कोरे कागज पर हस्ताक्षर करा लिए।
हॉस्पिटल में चलता है सौदे का खेल
ताजनगरी में नवजात बच्चा बेचने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं। किराए की कोख के मामले तक पकड़े गए हैं। हॉस्पिटलों से नवजात बच्चे चोरी तक हुए हैं। हैरानी की बात यह है कि किसी भी हॉस्पिटल को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी का बच्चा गोद भी दिलाए। इसके लिए बाकायदा कानूनी प्रक्रिया है।
महिला को मिले थे रुपये
पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद यह जानकारी दी थी कि महिला की मर्जी से बच्चा दिया गया है। उसे इसके बदले रुपये भी मिले थे। बाद में और रुपये चाह रही थी। जब मांग पूरी नहीं हुई तो शिकायत करने लगी। पुलिस को जांच के दौरान यह जानकारी हॉस्पिटल वालों ने दी थी। पुलिस ने इसी को सच मान लिया था। पुलिस आयुक्त ने पुलिस से एक ही सवाल पूछा। बच्चा का कानूनी तरीके से गोद दिया गया। यदि नहीं तो मुकदमा लिखकर कानूनी कार्रवाई की जाए।