उत्तराखंड यूसीसी रिपोर्ट हुई जारी, शादी की उम्र, तलाक और लिव-इन रिलेशनशिप सहित बने कई कानून

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देहरादून : उत्तराखंड में रहने वाली जनजातियों के लिए समान नागरिक संहिता के प्रावधान पूरी तरह स्वैच्छिक होंगे, यदि जनजाति समाज का कोई व्यक्ति समान नागरिक संहिता के किसी प्रावधान को इस्तेमाल करना चाहता है तो कर सकता है। अलबत्ता, सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों पर यूसीसी के सभी प्रावधान लागू होंगे।

समान नागरिक संहिता तैयार करने वाली विशेषज्ञ समिति ने शुक्रवार को चार खंडों वाली रिपोर्ट और समान नागरिक संहिता कानून को जन सामान्य के लिए उपलब्ध करा दिया है। बीजापुर गेस्ट हाउस में मीडिया के सामने रिपोर्ट जारी करते हुए कमेटी के सदस्य व पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि कमेटी फरवरी में ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी है।

प्रदेश सरकार इसी आधार पर समान नागरिक संहिता कानून भी बना चुकी है। लेकिन तब लोकसभा चुनावों की जल्दबाजी में कमेटी की मूल रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में नहीं आ पाई थी। उन्होंने कहा कि अब कमेटी ने चार खंडों वाली रिपोर्ट और इसी आधार पर तैयार कानून को www.ucc.uk.gov.in पर उपलब्ध करा दिया है, जिसे कोई भी देख सकता है।

सिंह ने कहा कि जनजातियों को संविधान में मिले अधिकार के कारण यूसीसी से बाहर रखा गया है, इसलिए जनजातियों के लिए यूसीसी पूरी तरह स्वैच्छिक रहेगी। जनजाति व्यक्ति किसी भी धर्म का हो, वो यूसीसी के दायरे में आएगा।

विदित है कि उत्तराखंड के देहरादून के चकराता, चमोली के जोशीमठ, उत्तरकाशी के मोरी, भटवाड़ी, डुंडा, पिथौरागढ़ के धारचूला व मुनस्यारी और यूएसनगर के खटीमा क्षेत्र में काफी संख्या में जनजाति के लोग रहते हैं।

जनजाति की तुलना मुस्लिम समाज से किए जाने पर उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज की तरफ से यूसीसी को लेकर दायर आपत्ति में मुख्य तौर पर धार्मिक कानूनों को ही सर्वोच्च मानने पर जोर दिया गया था, लेकिन कमेटी ने इसके बजाय सभी के लिए एक समान धर्मनिरपेक्ष कानून बनाने का निर्णय लिया।

समान नागरिक संहिता के खास बिंदु
–शादी की उम्र – सभी धर्मों की लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 निर्धारित की गई है। अभी कुछ धर्मों में इससे कम उम्र में लड़कियों की शादी हो जाती है।
–विवाह पंजीकरण – शादी के छह माह के भीतर अनिवार्य तौर पर सब रजिस्ट्रार के पास विवाह पंजीकरण कराना होगा, पंजीकरण नहीं कराने पर 25 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
–तलाक – समान नागरिक संहिता में पति – पत्नी के लिए तलाक के कारण और आधार एक समान कर दिए गए हैं। अभी पति जिस आधार पर तलाक ले सकता है, उसी आधार पर अब पत्नी भी तलाक की मांग कर सकेगी।
–बहु विवाह – पति या पत्नी के रहते दूसरी शादी यानि बहु विवाह पर सख्ती से रोक रहेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक अभी मुस्लिम पर्सनल लॉ में बहुविवाह करने की छूट है लेकिन अन्य धर्मो में ‘एक पति-एक पत्नी’ का नियम बहुत कड़ाई से लागू है।
–उत्तराधिकार – उत्तराधिकार में लड़के और लड़कों को बराबर अधिकार प्रदान किया गया है। संहिता में सम्पत्ति को सम्पदा के रूप में परिभाषित करते हुए इसमें सभी तरह की चल- अचल, पैतृक सम्पत्ति को शामिल किया गया है।
–लिव इन रिलेशनशिप
लिव इन में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, विवाहित पुरुष या महिला लिव इन में नहीं रह पाएंगे। इसके लिए जोड़ों को लिव इन में रहने की स्वघोषणा करनी पड़ेगी। लिव इन से पैदा होने वाले बच्चे को सम्पूर्ण अधिकार दिए गए हैं।
–अधिकार क्षेत्र – राज्य का स्थायी निवासी, राज्य या केंद्र सरकार के स्थायी कर्मचारी, राज्य में लागू सरकारी योजना के लाभार्थी पर लागू होगा। राज्य में न्यूनतम एक साल तक रहने वाले लोगों पर भी यह कानून लागू होगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा समान नागरिक संहिता (यूसीसी-UCC) उत्तराखंड में अक्तूबर में लागू कर दिया जाएगा। कहना था कि यूसीसी महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। धामी ने कहा कि विधानसभा में नागरिक संहिता विधेयक पास होने के पीछे उत्तराखंड की जनता का आशीर्वाद है।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सभी नागरिकों के लिए समान कानून की बात संविधान स्वयं करता है। अनुच्छेद 44 में उल्लेखित होने के बावजूद अब तक इसे दबाए रखा गया। यूसीसी समाज के विभिन्न वर्गों, विशेष रूप से माताओं-बहनों और बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने में सहायक होगा।

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