नई दिल्ली : वैज्ञानिक कुछ न कुछ ऐसी खोज करते रहते हैं जो सभी को अचंभित कर देते हैं। अब राजस्थान के जैसलमेर में आज भले ही थार रेगिस्तान (Desert) नजर आता है, लेकिन 16.7 करोड़ साल पहले यहां दुनिया का सबसे पुराना शाकाहारी डायनासोर रहा करता था। थार रेगिस्तान में इसका जीवाश्म मिला, इसलिए इसे ‘थारोसोरस इंडिकस’ यानी भारत के थार का डायनासोर नाम दिया गया है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने जीवाश्म की व्यवस्थित खोज व उत्खनन के लिए 2018 में कार्यक्रम शुरू किया था। इसी के तहत थारोसोरस के जीवाश्म जीएसआई के अधिकारी देबाशीष भट्टाचार्य, कृष्ण कुमार, प्रज्ञा पांडे और त्रिपर्णा घोष ने जैसलमेर से संग्रह किए थे। इस सबसे पुराने शाकाहारी डायनासोर की रीढ़, गर्दन, सूंड, पूंछ और पसलियों के जीवाश्म मिले थे।
इन पर आईआईटी रुड़की के सुनील बाजपेयी और देबाजित दत्ता ने 2022 में अध्ययन शुरू किया। वैज्ञानिकों ने बताया कि थारोसोरस की रीढ़ लंबी थी और सिर पर ठोस नोक होती थी। इसे डायनासोरों के प्राचीन परिवार डायक्रेओसोराइड सोरोपॉड्स में रखा गया है। इस परिवार के डायनासोर की गर्दन लंबी, सिर छोटे होते थे। वे शाकाहारी होते थे।
थारोसोरस के रूप में भारत में पहली बार एक डायक्रेओसोराइड सोरोपॉड मिला है। यह करीब 40 फीट लंबे होते थे, उनकी गर्दन और पूंछ छोटी होती थी। डायनासोर का परिवार डिप्लोडोसॉइड नामक एक विस्तृत डायनासोर प्रजाति में आता है। भारत में इससे पहले किसी डिप्लोडोसॉइड का जीवाश्म नहीं मिला था। थारोसोरस से पहले चीन में मिले
डाईक्रेओसोराइड के जीवाश्म को सबसे प्राचीन समझा जाता था। वह 16.6 करोड़ से 16.4 करोड़ वर्ष पुराना था। भारत में हुई ताजा खोज ने चीन के जीवाश्म को 10 से 30 लाख साल पीछे छोड़ दिया है।
मध्य भारत में इससे भी प्राचीन सोरोपॉड्स बारापासोरस और कोटासोरस मिले हैं। उनका समय 19.9 करोड़ से 18.3 करोड़ वर्ष पूर्व का माना जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इन सभी खोजों को जोड़ कर देखें तो पुख्ता संकेत मिलते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप डिप्लोडोसॉइड डायनोसोरों की उत्पत्ति और क्रमिक-विकास का केंद्र था।