नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच हरियाणा-पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसाानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। आंदोलनरत किसानों का दर्द उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से देखा नहीं गया। उन्होंने मुंबई एक कार्यक्रम में कृषि मंत्रि शिवराज सिंह चौहान के सामने ही किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को लेपेटे में ले लिया। वहीं इस मुद्दे को कांग्रेस ने हाथों हाथ लपक लिया, जिससे सियासत गर्म हो गई है।
कांग्रेस ने किसानों से जुड़े वादों को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान को लेकर मंगलवार को कहा कि वह भी सरकार से यही सवाल पूछ रही है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी कब हकीकत का रूप लेगी।
कृषिमंत्री से उपराष्ट्रपति के तीखे सवाल
दरअसल उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा, “कृषि मंत्री जी, मेरा आप से आग्रह है कि कृपया करके मुझे बताइये। क्या किसान से वादा किया गया था? किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया? वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं? पिछले साल भी आंदोलन हुआ था, इस साल भी आंदोलन हो रहा है।”
जयराम रमेश ने लपका मुद्दा
वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने उनके इस बयान का हवाला देते हुए एक्स पर पोस्ट किया, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यही सवाल लगातार पूछ रही है चेयरमैन सर। एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी कब हकीकत का रूप लेगी? एमएसपी तय करने के लिए स्वामीनाथन फॉर्मूला कब लागू होगा? जिस तरह पूंजीपतियों को कर्ज से राहत दी गई है उसी तरह का लाभ किसानों को कब मिलेगा?”
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने क्या बोला था ?
जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) जैसे प्रमुख संस्थानों की मौजूदगी के बावजूद किसान संकट में हैं। धनखड़ ने कहा कि किसान संकट में हैं और आंदोलन कर रहे हैं तथा यह स्थिति देश के समग्र कल्याण के लिए अच्छी नहीं है। इसके आगे उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘‘आत्मावलोकन की आवश्यकता है, क्योंकि किसान संकट में हैं। यदि ऐसे संस्थान (जैसे आईसीएआर और उसके सहयोगी) सक्रिय होते और योगदान दे रहे होते, तो यह स्थिति नहीं होती…ऐसे संस्थान देश के हर कोने में स्थित हैं, लेकिन किसानों की दशा अभी भी वही है।