नयी दिल्ली. स्टार पहलवान विनेश फोगाट ने मंगलवार को आरोप लगाया कि पूर्व में भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने यौन उत्पीड़न की शिकायतों को दबा दिया था और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी ठोस कार्रवाई करने के बजाय निगरानी पैनल बनाकर ऐसा ही किया है। पहलवानों के विरोध का सबसे बड़ा चेहरा विनेश ने दावा किया कि राष्ट्रीय शिविर के दौरान पहले भी दो बार यौन उत्पीड़न के मामले सामने आए थे लेकिन डब्ल्यूएफआई इन मामलों को दबाने में सफल रहा।
विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता विनेश ने कहा कि शिकायतकर्ताओं ने खेल मंत्री के साथ बैठक में अपनी आपबीती साझा की थी लेकिन उन्होंने निगरानी पैनल गठित करने के अलावा कुछ नहीं किया। पहलवानों ने सरकार से इस मामले की जांच का आश्वासन मिलने के बाद जनवरी में अपना विरोध वापस ले लिया था और डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए पांच सदस्यीय पैनल का गठन किया गया था।
विनेश ने कहा,‘‘2012 के राष्ट्रीय शिविर के दौरान एक पुलिस स्टेशन में यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज की गई थी। 24 घंटे के भीतर उस मामले को दबा दिया गया था। 2014 में एक फिजियो, जो गीता फोगाट के ट्रेनर भी थे, ने इसी तरह का मामला उठाया और उन्हें 24 घंटे के भीतर शिविर से हटा दिया गया। उस दिन से उनकी पत्नी किसी भी प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकी।” उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपना विरोध शुरू करने से पूर्व तीन महीने पहले एक सरकारी अधिकारी को सब कुछ समझाया था कि कैसे यौन उत्पीड़न हो रहा था और कैसे महिला पहलवानों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था। खिलाड़ियों को ऐसी स्थिति में धकेला जा रहा था जहां वे अपनी जिंदगी के साथ कुछ भी कर सकती थीं।”
विनेश ने कहा, ‘‘हमने तीन-चार महीने इंतजार किया लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो हम जंतर-मंतर आ गए। जब हम खेल मंत्री से मिले तो महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न से जुड़ी अलग-अलग घटनाओं को साझा किया। लड़कियां उनके सामने रो रही थीं लेकिन उस समय कोई कार्रवाई नहीं हुई।”
उन्होंने कहा, ‘‘खेल मंत्री ने एक समिति बनाकर मामले को फिर से दबाने की कोशिश की। हमने इस मुद्दे को हर स्तर पर उठाने की कोशिश की लेकिन इस मामले को हमेशा दबा दिया गया।” एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता ने कहा कि अब लोग समझ सकते हैं कि आखिर वे 12 साल तक चुप क्यों रहे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें खेल खेलना था। हमारा करियर, जीवन दांव पर था और इसलिए हम पर्याप्त साहस नहीं जुटा सके। अब हम अपने करियर में ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं जहां हम बोल सकते हैं। एक शक्तिशाली व्यक्ति के खिलाफ खड़ा होना आसान नहीं है।” साक्षी मलिक ने कहा कि विरोध के पीछे का मकसद ट्रायल से छूट मांगना नहीं था जैसा दिखाया जा रहा है।
उन्होंने दावा किया कि उन्हें विदेश में ट्रायल में हिस्सा लेने को कहा गया जबकि वह भारत में पहले ही ट्रायल जीत चुकी थी। 2012 में एक और लड़की को जीतने के 24 घंटे के भीतर ट्रायल के लिए दोबरा उपलब्ध होने को कहा गया। विनेश ने यह भी आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस अपना काम ठीक से नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस ने अभी तक कोई बयान दर्ज नहीं किया है। वे ताकत और पद का उपयोग करके पीड़ितों को तोड़ने में मदद कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस मामले में देरी करने की कोशिश कर रही है। वे बृजभूषण को जानकारी दे रहे हैं। शायद हमें उच्चतम न्यायालय से ही न्याय मिलेगा।”
विनेश ने कहा, ‘‘वह (डब्ल्यूएफआई प्रमुख) राष्ट्रीय टेलीविजन पर जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, उससे यह संकेत मिलता है कि वह बंद कमरे में महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार कर सकते हैं।”