नईदिल्ली: वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सालाना बैठक जारी है। इसी बीच दुनियाभर में चिंता बढ़ाने वाले खबर है। आशंका जताई जा रही है कि 2023 में वैश्विक मंदी आ सकती है। इसके अलावा अमेरिका और यूरोप में भी मौद्रिक तंगी के आसार हैं। साथ ही जानकारों के बीच यह भी आम सहमति है कि यूरोप और अमेरिका में विकास की संभावनाएं भी कम हैं।
WEF के मुख्य अर्थशास्त्री 2023 में मंदी का आशंका जता रहे हैं। ‘Chief Economists Outlook: January 2023’ में इस बात का खुलासा हुआ है। WEF की तरफ से विज्ञप्ति के अनुसार, ‘करीब दो तिहाई मुख्य अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 2023 में वैश्विक मंदी की आशंका है। इनमें से 18 फीसदी इसकी सबसे ज्यादा आशंका जता रहे हैं।’
फोरम के मुताबिक, यह आम सहमति बनी हुई है की 2023 में विकास की संभावनाएं कम हैं। इनमें यूरोप और अमेरिका में स्थिति ज्यादा खऱाब है। चीन के बारे में जानकारों की राय बंटी हुई है। विज्ञप्ति में कहा गया, ‘देश में भारी प्रतिबंधों वाली जीरो कोविड पॉलिसी में ढील देने के फैसले से वृद्धि में बढ़त के आसार हैं, लेकिन यह देखना बाकी है कि नीति में बदलाव स्वास्थ्य के लिहाज से कैसा होगा।’ WEF के मुख्य अर्थशास्त्रियों ने 2023 में उच्च मुद्रास्फीति की संभावनाएं जताई हैं।
भारत की तारीफ
भाषा के अनुसार, भारत छोटे और मध्यम उद्यमों की क्षमताओं को विस्तार देने के लिए अपना खाद्यान तंत्र विकसित करने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है। WEF की सोमवार को जारी एक अध्ययन रिपोर्ट में यह आकलन पेश किया गया। मंच की 53वीं वार्षिक बैठक के पहले दिन जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्यान संकट से निपटने में सक्षम हो चुके देश रोजगार, स्वास्थ्य और प्रकृति में भी उछाल हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा उन्हें शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्यों को भी हासिल करने में आसानी होगी।