क्या होता है GRAP, जानिए इस दौरान किन-किन चीजों पर होती है पाबंदी

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नई दिल्ली: हर साल सर्दियों के आते ही दिल्ली-NCR की हवा में प्रदूषण का जहर घुल गया है। प्रदूषण के इस जहर को कम करने के लिए एक योजना बनाई गई है, जिसे ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) कहते हैं। इसके चार चरण होते हैं। जिसे चरणबद्ध तरीके से लगाया जाता है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर को रोकने ये काफी महत्वपूर्ण है। बीते रविवार को ही दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप- 4 लगाया गया है।

ग्रैप के हैं चार स्तर

हवा की गुणवत्ता (AQI) 201 से 300 यानी खराब होने पर ग्रेप-1 लागू किया जाता है। एक्यूआई 301 से 400 यानी हवा बहुत खराब होने पर इसका दूसरा चरण लागू होता है। हवा की गुणवत्ता गंभीर रूप से खराब होने (एक्यूआई 401 से 450) पर तीसरा और एक्यूआई 450 से ज्यादा होने पर चौथा चरण लागू किया जाता है।

GRAP के तहत क्या-क्या प्रतिबंध लगाए जाते हैं

ग्रैप-1 में 500 स्क्वायर मीटर के बराबर या उससे ज्यादा जमीन पर निर्माण और तोड़फोड़ नहीं हो सकती है। कचरा, कोयला और लकड़ियां जलाने पर पूरी तरह से रोक रहेगी। एक जनवरी तक पटाखों का न तो निर्माण होगा और न ही भंडारण और बिक्री। अवैध और प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कानूनी और दंडात्मक कार्रवाई भी संभव है। इनमें स्वीकृत ईंधन का ही प्रयोग होगा। ईंट-भट्टों को भी प्रदूषण से निपटने के इंतजाम करने होंगे।

आम लोगों को अपने वाहनों के इंजन ठीक रखने होंगे, जिससे प्रदूषण न फैले। टायरों में हवा का दबाव ठीक रखना होगा। पीयूसी सर्टिफिकेट अपडेट रखने के साथ ही रेड लाइट पर इंजन बंद करना होगा। खुली जगह में कचरा फेंकने पर पूरी तरह से पाबंदी रहेगी। जाम वाले चौराहों और सड़कों पर यातायात पुलिस की तैनाती की जाती है, ताकि जाम के कारण प्रदूषण न बढ़े। अधिक धुआं फैलाने वाले वाहनों पर अधिकतम जुर्माना लगाया जाता है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि इस दौरान गैर-जरूरी ट्रक दिल्ली-एनसीआर में न घुसने पाएं। कोयले आदि से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट में भी मानकों का पालन करना होता है। राख को नियंत्रित करने के लिए पानी का छिड़काव करना होता है। डीजल जनरेटर सेट पर प्रतिबंध रहता है।

ग्रैप-2 में इंडस्ट्रीज पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाती है। इसमें प्रदूषण फैलाने वाले कई उद्योगों को बंद कर दिया जाता है या फिर उनकी गतिविधियों को सीमित किया जाता है। सभी तरह का निर्माण पूरी तरह से रोक दिया जाता है। सरकार निजी वाहनों के दिल्ली-एनसीआर में प्रवेश पर रोक भी लगा सकती है। इस दौरान पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा दिया जाता है। होटल-रेस्टोरेंट में ही रोक नहीं, बल्कि कोयले से चलने थर्मल पावर प्लांट तक बंद कर दिए जाते हैं। बच्चों को प्रदूषण से बचाने के लिए स्कूल-कॉलेज तक बंद कर दिए जाते हैं। करने का आदेश भी प्रशासन की तरफ से दी जा सकती है।

ग्रैप-3 में ग्रेप-3 में निजी वाहनों को प्रतिबंधित कर केवल इमरेंजी सेवाओं के वाहनों को ही अनुमति मिलती है। सभी प्रकार की इंडस्ट्रीज बंद कर दी जाती हैं। निर्माण पर रोक तो होती ही है, इसका उल्लंघन करने पर बड़ा जुर्माने भी लगाया जाता है। ग्रेप दो में लागू पाबंदियां भी आयद होती हैं।

ग्रैप-4 में ग्रेप-4 में केवल इमरजेंसी सेवाओं के इलेक्ट्रिक वाहनों को ही अनुमति प्रदान की जाती है। इंडस्ट्रीज, निर्माण, कोयले आदि पर पूर्ण प्रतिबंध रहता ही है। स्कूल-कॉलेज बंद रहने के साथ ही खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसी सभी बाहरी गतिविधियों पर रोक लग जाती है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवा को भी सीमित किया जाता है। बाकी ग्रेप 1, 2 और तीन के सभी प्रतिबंध लागू रहते हैं।

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