नई दिल्ली : स्वीडन इस समय अपनी एक योजना की वजह से काफी चर्चाओं में है. वह अपने नागरिकों को देश छोड़ने के लिए पैसे तक दे रहा है. स्वीडन की इमीग्रेशन मिनिस्टर मारिया माल्मर ने ये प्रस्ताव बनाकर पेश किया, जो आजकल मीडिया में छाया हुआ है. प्रस्ताव के अनुसार, विदेश में पैदा हुए जो भी स्वीडिश नागरिक देश छोड़ना चाहते हैं, वे अपनी मर्जी से देश छोड़कर जा सकते हैं. सरकार इसके लिए उन्हें पैसे भी देगी.
इसके लिए सरकार की तरफ से किराया भी दिया जाएगा. वैसे तो इस देश में पहले से ही स्वैच्छिक इमीग्रेशन योजना लागू है, लेकिन इसमें कुछ सुधार भी किया गया है. पुरानी योजना के मुताबिक, शरणार्थियों और प्रवासियों को देश छोड़ने पर भारतीय करंसी में करीब 80 हजार रुपये मिलते हैं. यह पैसा एक साथ उन्हें दिया जाता है. वहीं, सरकार उन्हें देश से जाने का भी किराया देती है. अब सरकार इसमें नागरिकों को भी जोड़ने की तैयारी कर रही है.
सरकार के नए प्रस्ताव के मुताबिक, अब इसमें सभी नागरिकों को शामिल किया जाएगा. देश छोड़कर जाने वालों को अनुदान में दी जाने वाली 10 हजार स्वीडिश क्रोना को भी बढ़ाया नहीं जाएगा. सरकार का मानना है कि इससे संदेश जाएगा कि स्वीडन सरकार उन्हें पसंद नहीं करती, इसलिए स्वीडन में दुनिया के कई देशों से लोग जाकर बस जाते हैं. यही कारण है कि यहां की आबादी 20 साल में दोगुनी हो गई है. प्रवासियों की संख्या में 20 लाख से ज्यादा है, जो स्वीडन की कुल आबादी का 5वां हिस्सा है.
इमीग्रेशन मिनिस्टर ने कहा कि लोग आ तो जाते हैं, लेकिन वे स्वीडन के समाज में ढल नहीं पाते. ऐसे ही लोगों को मौका दिया जा रहा है कि वे देश छोड़कर चले जाएं. सरकार उन्हें आर्थिक मदद भी देगी. सरकार ने ये भी कहा कि स्वीडन में कई लोग ऐसे हैं, जिनके बच्चे इराक, सीरिया और सोमालिया में भी पैदा हुए, लेकिन अब वे स्वीडन आकर रहना चाहते हैं. ऐसे लोगों के लिए भी सरकार का ये ऑफर है.