मार्च में कब है होली, जानें इतिहास और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां

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नई दिल्ली : होली के त्योहार में महज कुछ दिन ही बचे हैं. होली को रंगों, खुशियों और हर्ष उल्लास का त्योहार कहा जाता है. होली के दिन लोग एक दूसरे को रंग-गुलाब लगाते हैं गले मिलते हैं और स्वादिष्ट पकवान खाते हैं. होली के पर्व में तरह-तरह के पकवान बनाएं जाते हैं. आपको बता दें कि होली के एक दिन पहले होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है फिर दूसरे दिन रंगों वाली होली खेली जाती है.

होलिका दहन शुभ मुहूर्त 2023

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा को प्रदोष काल में होलिका दहन होता है और उसके अगले दिन यानि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को होली खेली जाती है.

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 7 मार्च 2023 को शाम 6 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा.

वहीं, होलिका दहन के दिन भद्रा सुबह 5 बजकर 15 मिनट तक रहेगा.

होलिका दहन कथा-

हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद श्रीहरि विष्णु का भक्त था. वह भगवान विष्णु की भक्ति में डूबा रहता था. हिरण्यकश्यप ने उसे बार बार विष्णु भक्ति छोड़ने को कहा, लेकिन भक्त प्रह्लाद कहां मानने वाले​ थे. हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना शत्रु समझता था.

प्रह्लाद भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ दें, इसके लिए हिरण्यकश्यप ने उनको कभी पहाड़ से नीचे फेंका, कभी नदी में डूबो कर मारना चाहा, तो कभी हाथी के पैरों तले कुचलने की कोशिश की, श्रीहरि की कृपा से भक्त प्रह्लाद बार बार बच जाते.

इसके बाद हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को जलती आग में लेकर बैठने के लिए मनाया. होलिका को ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था कि आग से वह सुरक्षित रहेगी. आग उसका बाल भी बांका नहीं कर सकती है. माना जाता है कि उसके पास एक चादर थी, जिसे ओढ़ लेने से वह जलती नहीं थी.

फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलिका भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर चिता पर बैठ गई, होलिका ने वह चादर ओढ़ लिया, ताकि आग लगाई जाए तो वह बच जाए और प्रह्लाद जलकर मर जाएं. चिता में आग लगाई गई, तब भगवान विष्णु की कृपा से उस चादर से प्रह्लाद सुरक्षित हो गए और होलिका जलकर मर गई.

होलिका दहन के अगले दिन सुबह में रंगोंवाली होली खेली जाएगी. साल 2024 में होली 25 मार्च दिन सोमवार को है. उस दिन सुबह 06:19 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा. होली वाले दिन वृद्धि योग सुबह से लेकर रात 09:30 बजे तक है, उसके बाद से ध्रुव योग होगा. उस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र प्रात:काल से लेकर सुबह 10:38 बजे तक है. उसके बाद से हस्त नक्षत्र होगा.

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