नई दिल्ली: ज्येष्ठ अमावस्या पर 6 जून 2024 को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा है। इस दिन शनि जयंती भी है। वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। ये पेड़ अमरता का प्रतीक है। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 5 जून 2024 को रात 07.54 से शुरू होकर 6 जून 2024 को शाम 06.07 तक रहेगी। इस दिन पूजा के लिए सुबह 10.36 से दोपहर 02.04 तक शुभ मुहूर्त है।
वट सावित्री व्रत सत्यवान-सावित्री की कथा से जुड़ा है, कहते हैं इस दिन सावित्री ने अपनी चतुराई से यमराज को मात देकर सत्यवान के प्राण बचाए थे। तभी से महिलाएँ पति की लंबी उम्र के लिए निर्जल व्रत कर पूजा करती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सावित्री ने मृत्यु के देवता भगवान यम को भ्रमित कर उन्हें अपने पति सत्यवान के प्राण को लौटाने पर विवश किया था। इसीलिए विवाहित स्त्रियां अपने पति की सकुशलता और दीर्घायु की कामना से वट सावित्री व्रत रखती हैं और सावित्री के लौटने तक उनके पति सत्यवान के शरीर की रक्षा करने वाले वट वृक्ष की इस दिन पूजा की जाती है।
सावित्री ने अपने पति के जीवन के लिए लगातार 3 दिनों तक व्रत रखा था, इसलिए ये व्रत 3 दिनों तक रखा जाता है। वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा और परिक्रमा कर के सौभाग्य की चीजों का दान करती हैं। व्रत वाले दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफाई कर के नहाती हैं। इसके बाद पूजा की तैयारियों के साथ नैवेद्य बनाती हैं। फिर बरगद के पेड़ के नीचे भगवान शिव-पार्वती और गणेश की पूजा करती हैं। कच्चे सूत से 11, 21 या 108 बार बरगद के पेड़ की परिक्रमा करती हैं।
इसके अलावा सनातन धर्म के अनुसार बरगद के पेड़ में त्रिदेवों का वास होता है। बरगद की जड़ में ब्रह्माजी, तने में विष्णुजी और शाखाओं में शिवजी का वास माना जाता है। इसके अलावा वट वृक्ष सनातन धर्म में पवित्र, लंबे समय तक जीवंत रहने वाला होता है। दीर्घ आयु, शक्ति और इस वृक्ष के धार्मिक महत्व के चलते ही वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है। वट सावित्री व्रत के दिन व्रतधारी महिलाओं को बरगद का पौधा जरूर लगाना चाहिए, इससे परिवार में आर्थिक परेशानी नहीं आती है। इसके अलावा निर्धन सौभाग्यवती महिला को सुहाग की सामग्री दान करनी चाहिए, इससे शुभ फल मिलता है। वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की जड़ को पीले कपड़े में लपेट लें और इसे अपने पास रखें, ऐसा करने से घर में शुभता का वास रहेगा।
उत्तर भारत- दक्षिण भारत में अलग-अलग दिन व्रत
पूर्णिमांत कैलेंडर में वट सावित्री व्रत, ज्येष्ठ अमावस्या पर मनाया जाता है। इसी दिन शनि जयंती भी होती है। वहीं अमांत कैलेंडर के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा पर मनाया जाता है। वट सावित्री व्रत को वट पूर्णिमा व्रत भी कहा जाता है। इसीलिए महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिणी भारतीय राज्यों में विवाहित स्त्रियां उत्तर भारतीय स्त्रियों की तुलना में 15 दिन बाद वट सावित्री व्रत मनाती हैं। यद्यपि व्रत पालन करने के पीछे की पौराणिक कथा दोनों ही कैलेंडरों में एक समान है। इस साल वट पूर्णिमा व्रत 21 जून 2024 को है।