Budh Purnima 2022:इस साल कब मनाया जाएगा बुद्ध पूर्णिमा..जानिए क्या है इसका महत्त्व और क्यों मनाया जाता है।
Budh Purnima 2022:बुद्ध पूर्णिमा एक ऐसा त्योहार है जिसे न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है। भारत में इस पर्व को वेसाक या विशाखा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व बौद्ध धर्म को मानने वालों के लिए काफी खास होता है, लेकिन हिंदू धर्म में भी इस दिन को काफी महत्पूर्व माना जाता है। माना जाता है की गौतम बुद्ध, भगवान श्री विष्णु का नौवां अवतार है। इसके साथ साथ वह बौद्ध धर्म के आरंभकर्ता भी हैं। यही कारण है की इस पर्व को गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में भी मानते है। हिंदू पंचांग की माने तो यह पर्व अप्रैल या मई महीने में पूर्णिमा के दिन आता है। माना जाता है इस दिन गौतम बुद्ध जी ने आत्मज्ञान प्राप्त किया था और उसके बाद अपना शरीर त्याग कर उन्होंने मानव जीवन से मुक्ती पा ली थी।
इस वर्ष 16 मई यानि की सोमवार को बुद्ध पूर्णिमा मनाया जाएगा। इस दिन लोग अपने घरों को फूलों से सजाते है और प्रत्येक कोने में दीपक जलाते है। पूर्णिमा के शुर और खत्म होने के बीच के समय में की गई पूजा को बहुत शुभ मानते है। इसके लिए पूर्णिमा की तिथि और समय का ज्ञात होना बहुत जरुरी है। इस साल 15 मई दिन रविवार, दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर पूर्णिमा तिथि शुरू होगी जो अगले दिन सोमवार यानि की 16 मई को प्रातः 09 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। इस दिन पितरों से संबंधित पूजा करना भी शुभ माना जाता है। पूर्णिमा की इस अवधि में किए गए दान से कई गुना अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
गौतम बुद्ध का जन्म 562 AD में एक राजघराने में हुआ था। उनके माता पिता ने उनका नाम सिद्धार्थ रखा था। ज्यादातर लोगों का मानना है की उनका जन्म नेपाल के लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ था। गौतम बुद्ध ने अपने 80 वर्ष के जीवनकाल में अपने प्रवचनों द्वारा बहुत लोगों का उद्धार किया। जब वह सोलह साल के थे तब उनका विवाह भी हुआ था। लेकिन कुछ सालों बाद उन्होंने अपना घर त्याग दिया। उन्होंने सभी मोह माया का त्याग कर कई सालों तक कठोर तपस्या कर आत्मज्ञान प्राप्त किया। सन 483 AD में भारत के उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में गौतम बुद्ध ने अपना शरीर त्याग दिया।
उन्हें पटना के बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। माना जाता है की उन्होंने बोधिवृक्ष के नीचे बैठकर भगवान बुद्ध ने कठोर तपस्या की थी। इसलिए इस वृक्ष को बहुत पवित्र माना जाता है। हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु वहां जाते है। गौतम बुद्ध जी को समर्पित बुद्ध पूर्णिमा का यह पर्व मनाया जाता है।
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रिपोर्ट: अमृतरश्मि