नई दिल्ली : दुनियाभर में तेजी से बढ़ते एमपॉक्स यानी मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को लेकर डब्ल्यूएचओ ने साफ कर दिया है कि यह कोविड जितना खतरनाक नहीं है। तेजी से बढ़ते मामलों को लेकर डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि यह एक तरह का पुराना स्ट्रेन है, और इसका कोविड जैसी गंभीर समस्या से कोई लेना-देना नहीं है। इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) एक शोध भी कर चुका है। जिसमें उसने साफ कहा है इसे रोकना आसान है। यह कोरोना वायरस की तरह खतरनाक और जानलेवा नहीं है। एमपॉक्स को लेकर डब्ल्यूएचओ के अधिकारी हंस क्लूज का बयान आया था, ”एमपॉक्स से हम मिलकर निपट सकते हैं और हमें एकजुट होकर इसे कंट्रोल करना चाहिए।”
बता दें कि भारत में भी एमपॉक्स के कुछ मामले सामने आए हैं। डब्ल्यूएचओ के इसे हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। अब इस पर विशेष तरीके से ध्यान देते हुए केंद्र सरकार ने देशभर के सभी एयरपोर्ट और बंदरगाहों पर चेतावनी जारी कर दी है। इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय कह चुका है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमाओं से इस वायरस के फैलने का अधिक खतरा है।
इसको लेकर दिल्ली के तीन सरकारी अस्पतालों में इस वायरस से पीड़ित लोगों का इलाज किया जाएगा। इसमें राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज का नाम शामिल है। एमपॉक्स का कोविड से कनेक्शन के बारे में आईएएनएस ने दिल्ली के ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल झिलमिल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य से बात की।
उन्होंने बताया, ” एमपॉक्स वायरस बहुत खतरनाक है, लेकिन इसका कोविड से कोई संबंध नहीं है। यह ऑर्थोपॉक्सवायरस के कारण फैलता है। यह किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। इसका अभी तक कोई इलाज नहीं है। ठीक होने में मरीज को कुछ हफ्तों का समय लगता है।”
डॉ. युगम ने कहा, ‘’इसके लक्षणों की बात करें तो इसमें माइल्ड फ्लू के जैसे लक्षण नजर आते हैं। इसमें चेहरे, छाती, गर्दन और हाथों पर दाने दिखाई देते हैं। इसके अलावा तेज बुखार आना, सिर में तेज दर्द भी एमपॉक्स के संकेत हो सकते हैं। इसके साथ ही मरीज को अगर बगल या जांघ में सूजन जैसा महसूस हो तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।”