मैसूर: डीपी मल्लेश उन 200 कुंवारे मर्दों में शामिल हैं, जो शादी के लिए एक दुल्हन पाने की उम्मीद में 105 किलोमीटर की पदयात्रा कर महादेश्वर मंदिर जाएंगे. कर्नाटक के मद्दुर तालुका के रहने वाले 33 वर्षीय मल्लेश इस बात से परेशान हैं कि उनके गांव की लड़कियां केवल उन लोगों से शादी करना चाहती हैं जो बेंगलुरु जैसे बड़े शहर में रहते हैं. मल्लेश ने बताया कि ‘पिछले 4-5 साल से मैं शादी के लिए एक लड़की की तलाश कर रहा हूं. मैं उन लड़कियों से मिला हूं जिनके शादी के लिए प्रपोजल आए. वे लड़कियां कहती हैं कि वे केवल शहर के लड़कों से ही शादी करेंगी. कोई भी अपनी बेटी की शादी मेरे जैसे किसान से नहीं करना चाहता है.’
अब मल्लेश 23 फरवरी से होने वाली पदयात्रा में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं. यह अनूठी पदयात्रा 23 फरवरी को मद्दुर तालुका के केएम डोड्डी गांव से शुरू होगी और सभी मर्द 25 फरवरी को महादेश्वर मंदिर तक पहुंचने के लिए तीन दिनों में 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा करेंगे. ‘ब्रह्मचारीगल पदयात्रा’ कही जा रही इस यात्रा में हिस्सा लेने के लिए 200 से अधिक कुंवारे पुरुषों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. इस पदयात्रा के आयोजक केएम शिवप्रसाद ने बताया कि इस वॉकथॉन को आयोजित करने का विचार तब आया जब सभी कुंवारे दोस्तों के एक समूह को शादी के लिए भगवान की मदद की जरूरत महसूस हुई.
इसके बाद उन्होंने कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसका विज्ञापन करने के बारे में सोचा और उन्हें बहुत अचरज हुआ कि उनकी पोस्ट पर अधिकांश कुंवारे लोगों ने प्रतिक्रिया दी. पड़ोसी जिलों मांड्या, मैसूर, शिवमोग्गा और चामराजनगर के कुंवारे पुरुषों से इसके लिए आवेदन मिलने लगे. इसके लिए 300 से अधिक आवेदन हासिल हुए हैं और लगभग 210 ने इस पदयात्रा में हिस्सा लेने की पुष्टि की है. शिवप्रसाद ने कहा कि मद्दुर में रहने वाली लड़कियों के माता-पिता को लगता है कि एक किसान की आमदनी लगातार और काफी नहीं हो सकती है. परिवारों को लगता है कि उनकी बेटियों की शादी शहर के पुरुषों से कर दी जाएगी, तो इससे उनका भविष्य सुरक्षित हो जाएगा.
शिवप्रसाद और उनके सभी मित्रों की उम्र 30 वर्ष से अधिक है. इन लोगों ने इस प्राचीन पवित्र मंदिर में महादेश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए एक साथ जाने का फैसला किया. समुद्र तल से 3,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह महादेश्वर मंदिर कर्नाटक का एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है. माना जाता है कि संत महादेश्वर 14वीं और 15वीं शताब्दी के बीच यहां रहे थे. स्थानीय आदिवासी समुदाय का मानना है कि महादेश्वर ने चमत्कार किया, बाघ की सवारी की और वे भगवान शिव के अवतार थे. उन्हें एक दुष्ट राजा श्रवणासुर को खत्म करने के लिए धरती पर भेजा गया था.
बहरहाल मल्लेश ने कहा कि उनके पास पांच एकड़ से अधिक खेत है, जहां अच्छी फसल हो रही है. उन्होंने कहा कि मेरी महिला सहपाठियों के बच्चे अब विवाह की उम्र के हैं, जबकि हम अभी भी जीवन साथी की तलाश कर रहे हैं. मल्लेश ने कहा कि वह अंतर-जातीय विवाह के लिए भी तैयार हैं, बस उनका साथी दयालु और प्यार करने वाला होना चाहिए. मल्लेश ने बताया कि उनकी बहन की शादी पास के गांव के एक किसान से हुई और न केवल वे खुश हैं, बल्कि संपन्न भी हैं.