नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने विश्व एड्स दिवस के मौके पर दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र और पूरी दुनिया में सदस्य देशों, भागीदारों और समुदायों का आह्वान किया है कि 2030 तक एड्स के उन्मूलन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी मजबूत करते रहें और समुदायों को सशक्त बनाएं।
डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि दुनियाभर में करीब 3.9 करोड़ लोग एचआईवी के साथ रह रहे हैं। साल 2022 में करीब 13 लाख लोग एचआईवी से ग्रस्त हुए थे और करीब 6,30,000 लोगों की एड्स से संबंधित कारणों से मृत्यु हो गई।
दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में करीब 39 लाख लोग एचआईवी ग्रस्त हैं जो दुनियाभर में इस बीमारी के शिकार लोगों का लगभग 10 प्रतिशत हैं।
डॉ खेत्रपाल सिंह ने कहा कि पिछले साल 1,10,000 लोगों को एचआईवी का संक्रमण हुआ था और क्षेत्र में 85,000 लोगों की एड्स से संबंधित कारणों से मृत्यु हो गई।
पिछले एक दशक में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में एचआईवी संक्रमण और इससे संबंधित मृत्यु के मामलों में उल्लेखनीय गिरावट के साथ इस दिशा में अच्छी प्रगति हुई। एचआईवी संक्रमण के नए मामले 2010 में जहां दो लाख थे, वे 2022 में कम होकर 1,10,000 रह गए।
इसी तरह 2010 में एचआईवी से मौत के मामलों की संख्या 2,30,000 थी जो 2022 में घटकर 85,000 रह गई।
सिंह के अनुसार, पूरे क्षेत्र में एचआईवी संक्रमण के करीब 95 प्रतिशत नए मामले जोखिम वाले लोगों में हैं जिनमें यौन कर्मी, इंजेक्शन से नशा करने वाले लोग, पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाने वाले पुरुष, ट्रांसजेंडर लोग और उनके माता-पिता शामिल हैं।
उनके मुताबिक, 2022 में क्षेत्र में एचआईवी के नए मामलों में करीब एक चौथाई मामले युवाओं में देखे गए। दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के अनेक देशों में एचआईवी संक्रमण के नए मामलों में करीब आधे मामले युवाओं में पाए गए हैं।
सिंह ने कहा कि एड्स के उन्मूलन की दिशा में तेजी से बढ़ने के लिए जोखिम वाले लोगों और एचआईवी प्रभावित लोगों के समुदायों को इस दिशा में रणनीतियां तैयार करने में अधिक से अधिक शामिल किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वायरल हेपेटाइटिस, एचआईवी और अन्य यौन संक्रमण के लिए एकीकृत क्षेत्रीय कार्य योजना के क्रियान्वयन में समुदायों को सशक्त करना जरूरी है।
उन्होंने कहा, ”डब्ल्यूएचओ अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कार्रवाई का आह्वान कर रहा है। नीति निर्माताओं और कार्यक्रम प्रबंधकों को इस तरह की पहलों का स्वागत करना चाहिए और सेवा आपूर्ति, नीतियों के विकास, सामुदायिक स्तर की निगरानी में सामुदायिक संगठनों तथा ऐसे लोगों की सार्थक साझेदारी सुनिश्चित करनी चाहिए जो एचआईवी के साथ रह रहे हों।”
डॉ खेत्रपाल सिंह ने कहा, ”हमें मिलकर सतत विकास लक्ष्यों, 2030 को प्राप्त करने के लिए प्रयास तेज करने चाहिए। विश्व एड्स दिवस पर डब्ल्यूएचओ क्षेत्र और विश्व को ऐसा रूप देने की प्रतिबद्धता दोहराता है जहां एड्स कोई सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा नहीं रहे और कोई भी व्यक्ति, समुदाय या आबादी पीछे नहीं रह जाए।”