तीन राज्‍यों में किसे मुख्‍यमंत्री बनाएगी भाजपा, खोज पर निकले दिग्गज, दो दिन में फैसला

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नई दिल्‍ली : हाल ही में जीते तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) किसे मुख्यमंत्री बनाएगी, इसको लेकर दो दिनों में फैसला हो जाएगा। मध्य प्रदेश बीजेपी प्रभारी मुरलीधर राव ने शुक्रवार को कहा कि अगले दो दिनों के भीतर मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों की घोषणा कर दी जाएगी। राव ने कहा, “तीनों राज्यों के लिए पार्टी द्वारा नियुक्त केंद्रीय पर्यवेक्षक प्रत्येक राज्य का दौरा करेंगे, और पार्टी अगले दो दिनों के भीतर उन क्षेत्रों के लिए अपने मुख्यमंत्री पद की पसंद का खुलासा करेगी।”

मुख्यमंत्रियों की नियुक्तियों को लेकर चल रही प्रत्याशा के बीच, भाजपा ने हाल ही में जीते गए राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़) के लिए अपने केंद्रीय पर्यवेक्षकों की घोषणा की। भगवा पार्टी ने शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को क्रमश: राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी विधायक दल के नेता के चयन के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया।

पार्टी की एक विज्ञप्ति में कहा गया है, “भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों को मंजूरी दे दी है।” राजस्थान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा सांसद सुरेश पांडे और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। मध्य प्रदेश के लिए पर्यवेक्षकों में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण और राष्ट्रीय सचिव आशा लकड़ा शामिल हैं। छत्तीसगढ़ में केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और बीजेपी नेता दुष्यंत कुमार गौतम को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है।

भाजपा नेता ने कहा कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जोरदार जीत के कुछ दिनों बाद मुख्यमंत्री को लेकर ‘सस्पेंस’ रविवार को खत्म होने की संभावना है। इस दिन पार्टी के 163 नवनिर्वाचित विधायक केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में अपना नेता चुनने के लिए बैठक करेंगे। प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक रविवार को होने की संभावना है। बृहस्पतिवार रात भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने यहां पत्रकारों से कहा था कि मुख्यमंत्री को लेकर ‘सस्पेंस’ रविवार को खत्म हो जाएगा।

मध्य प्रदेश में भाजपा ने इस बार 17 नवंबर का विधानसभा चुनाव मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में पेश किए बिना लड़ा। ऐसा 20 साल बाद हुआ कि पार्टी ने मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, यदि भाजपा चौहान की जगह किसी और को लेती है तो वह किसी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के मुख्यमंत्री पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। चौहान मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री भी हैं।

उनके मुताबिक ऐसी स्थिति में प्रह्लाद पटेल मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे आगे हो सकते हैं। वह नरसिंहपुर विधानसभा सीट से चुने गए हैं और उन्होंने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। वह लोधी समुदाय से आते हैं और लोधी अन्य ओबीसी का हिस्सा है। इस बीच पटेल दिल्ली से भोपाल पहुंच गए हैं। इस तथ्य को देखते हुए कि मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी 48 प्रतिशत से अधिक है। भाजपा नेतृत्व 2003 के बाद से राज्य में शीर्ष पद के लिए ओबीसी नेताओं के साथ गया है। इससे पहले उसने उमा भारती, जो एक लोधी हैं, को आगे बढ़ाया था। एक साल बाद, पार्टी ने एक और ओबीसी, बाबूलाल गौर और फिर 2004 में चौहान पर अपना दांव लगाया।

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, विजयवर्गीय और भाजपा के प्रदेश प्रमुख वी डी शर्मा अन्य संभावित उम्मीदवार हैं। नरेंद्र तोमर का नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में है। वह दिमनी से चुने गए हैं और केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं। चारों बड़े दिग्गज पटेल, तोमर, विजयवर्गीय और वी डी शर्मा पहले ही नई दिल्ली में गृह मंत्री और भाजपा के मास्टर रणनीतिकार अमित शाह से मुलाकात कर चुके हैं।

पार्टी की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक राजस्थान में विधायक दल के नेता के चयन के लिए राजनाथ सिंह के अलावा राज्यसभा सदस्य सरोज पांडे और पार्टी महासचिव विनोद तावड़े को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। भाजपा के भीतर इस बात की चर्चा जोरों पर है कि पार्टी दो बार मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे के दावों को नजरअंदाज कर सकती है और उनकी जगह किसी नए चेहरे को राज्य की कमान सौंप सकती है। वहीं, जानकारों का कहना है कि सिंह को राजस्थान का पर्यवेक्षक इसलिए बनाया गया है क्योंकि वसुंधरा की गिनती उनके करीबियों में होती है। भाजपा के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार राजनाथ सिंह से भाजपा नेतृत्व को उम्मीद है कि वह उनकी पसंद के अनुरूप मुख्यमंत्री पद पर आम सहमति बनाने में मदद कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई विधायकों को राजे का समर्थन करते हुए देखा जा रहा है।

सूत्रों ने कहा कि भाजपा छत्तीसगढ़ में किसी ओबीसी या आदिवासी नेता को बागडोर सौंपने पर विचार कर रही है। सूत्रों ने कहा कि लता उसेंडी, गोमती साय और रेणुका सिंह जैसे अनुसूचित जनजाति वर्ग के नेता शीर्ष पद के लिए स्वाभाविक दावेदार हैं। प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और नौकरशाह से राजनेता बने ओपी चौधरी भी पिछड़ी जातियों से हैं। पार्टी ऐसे समय में कम से कम एक महिला मुख्यमंत्री को चुनना चाहेगी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा के लिए महिला मतदाताओं के समर्थन को लगातार रेखांकित कर रहे हैं और अक्सर महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की आवश्यकता की बात करते रहे हैं। छत्तीसगढ़ के लिए तीन पर्यवेक्षकों में से दो आदिवासी समुदाय से हैं जबकि गौतम अनुसूचित जाति से आते हैं।

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