नई दिल्ली : चीन, अमेरिका, फिलीपींस, ब्रिटेन और नीदरलैंड समेत दुनिया के कई देशों में काली खांसी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. दुनियाभर में एक बार फिर काली खांसी ने दस्तक दी है. अप्रैल का महीना शुरू हो गया है. हर गुजरते दिन के साथ मौसम में बदलाव आ रहा है. मौसम के करवट लेते ही लोगों को खांसी होने लगती है, ऐसा होना बहुत सामान्य है. नॉर्मल खांसी होने पर लोग गुनगुना पानी पीकर या कुछ घरेलू उपायों से उसका उपचार कर लेते हैं. मगर कुछ मामलों में अगर खांसी 2-3 दिनों से अधिक हो जाता है और गंभीर खांसी का रूप ले लेता है. इस सिचुएशन में काली खांसी होने की आशंका बढ़ जाती है.
हेल्थलाइन वेबसाइट के मुताबिक काली खांसी, जिसे पर्टुसिस और व्हूपिंग कफ भी कहा जाता है. ये एक तरीके का बहुत गंभीर इंफेक्शन होता है जिससे सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है. ये रोग आमतौर पर से छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों में ये इंफेक्शन सीरियस हो सकता है. इस इंफेक्शन के होने का कारण एक खास तरीके का बैक्टीरिया होता है. इस बैक्टीरिया को बोर्डेटेला पर्टुसिस नाम से जाना जाता है।
लक्षण-
लगातार और तेज खांसी: यह काली खांसी का सबसे आम लक्षण है. खांसी इतनी तेज हो सकती है कि व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.
उल्टी: खांसी के बाद उल्टी होना भी आम है.
भूख में कमी: बीमार बच्चे को भूख कम लग सकती है और वजन कम हो सकता है.
बुखार: हल्का बुखार हो सकता है.
नाक बहना: नाक से पानी या बलगम बह सकता है.
सांस लेने में तकलीफ: गंभीर मामलों में, सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
कारण-
काली खांसी बोर्डेटेला पर्टुसिस नामक बैक्टीरिया से फैलती है. जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो बैक्टीरिया वाली बूंदें हवा में फैल जाती हैं. अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति सांसों से इन बूंदों को अंदर लेता है, तो वह संक्रमित हो सकता है.
बचाव-
संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें: यदि आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में हैं, तो उनसे कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखें.
मास्क पहनें: यदि आप किसी संक्रमित व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं, तो मास्क पहनें.
बार-बार हाथ धोएं: अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं, खासकर खांसने या छींकने के बाद.
खांसते और छींकते वक्त मुंह को ढंकें: जब आप खांसते या छींकते हैं तो अपना मुंह और नाक टिश्यू से ढक लें।
इलाज-
काली खांसी के इलाज के लिए डॉक्टर आमतौर पर इस बीमारी में एंटी-एलर्जिक और एंटीबायोटिक दवाइयां देते हैं. एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरिया को मारती हैं और बीमारी को फैलने से रोकती हैं. अगर आप में भी ये लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।