नई दिल्ली। मौसम बदलते (changing seasons) ही ज्यादातर लोग सर्दी-खांसी (cold cough) के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में हम बिना डाक्टर की सलाह लिए कोई भी कफ सिरप (cough syrup) मार्केट से खरीदकर इस्तेमाल करने लगते हैं, लेकिन ऐसा करने पर अब आप सावधान हो जाइए, क्योंकि ये सिरप जानलेवा भी हो सकते हैं।
आपको बता दें कि हाल ही में भारत में सर्दी खांसी की दवा बनाने वाली कंपनियों की कुछ दवाइयों को लेकर WHO ने मेडिकल प्रोडक्ट अलर्ट जारी किया है। दवा कंपनी द्वारा बनाए गए सर्दी-खांसी के सिरप (RD-cough syrup) पीने से पश्चिमी अफ्रीकी देश (west african countries) गांबिया में 66 बच्चों की मौत की खबर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने यह दावा करने के साथ ही इन सिरप का इस्तेमाल नहीं करने की चेतावनी जारी की है।
अफ्रीकी देश गाम्बिया में जुलाई में अलर्ट जारी किया गया। वहां, किडनी की समस्या से बच्चे बीमार होने लगे। कुछ बच्चों की मौत की खबर आई। इन मौतों में एक जैसा पैटर्न सामने आया। जान गंवाने वाले सभी बच्चों की उम्र पांच साल से कम थी। सर्दी-खांसी के सिरप लेने के तीन से पांच दिन बाद ये गंभीर रूप से बीमार हुए।
डब्ल्यूएचओ ने इस महीने की शुरुआत में इसे लेकर रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया कि खांसी की दवा डाइथेलेन ग्लाइकोल और इथिलेन ग्लाइकोल इंसान के लिए जहर की तरह हैं। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसुस ने कहा कि बच्चों की मौत का संबंध चार दवाओं से है। इन सिरप के सेवन से उनके गुर्दों को क्षति पहुंची। ये चारों दवाएं हरियाणा की एक ही कंपनी मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की हैं।
वहीं WHO की रिपोर्ट आने के बाद गाम्बिया ने मेडेन फार्मास्यूटिकल के उत्पादों पर बैन लगा दिया गया। WHO ने सभी देशों को इन दवाओं को बाजार से हटाने की चेतावनी दी। खुद भी इन देशों और संबंधित क्षेत्र की आपूर्ति शृंखला पर नजर रखने की बात कही है। WHO की चेतावनी के बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने जांच के आदेश जारी कर दिए। इधर, दिल्ली में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं जिसकी जांच लैब में की जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्यवाई की जाएगी।
आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मेडेन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड की सर्दी-खांसी की दवाई की वजह से लोगों को किडनी की बीमारी हो रही है। दावा यह भी किया गया है कि गांबिया में इस दवा की वजह से ही 66 बच्चों की जान चली गई। वहीं WHO ने कहा है कि कंपनी और रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के साथ मिलकर जांच की जा रही है। बताया जा रहा है कि मेडेन फार्मास्यूटिकल कंपनी 1990 में शुरू हुई। हरियाणा में इसके तीन मैनुफैक्चरिंग प्लांट है। ये कंपनी टैबलेट, कैप्सूल, लिक्विड सिरप, लिक्विड इंजेक्शन, इंजेक्शन के लिए पाउडर, क्रीम, जेल वगैरह बनाती है। कंपनी हर महीने 10 करोड़ टैबलेट और 22 लाख लीटर सिरप का उत्पादन करती है।
रॉयटर्स के मुताबिक इस मामले में दवा कंपनी ने अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। जिन चार दवावओं को लेकर अलर्ट जारी किया गया है वे प्रोमेथाजीन ओरल सल्यूशन, कोफेक्समालीन बेबी कफ सीरप, मेकॉफ बेबी कफ सीरप और मैग्रिप एन कोल्ड कफ सीरप है। कहा गया है कि दवा बनाने वाली कंपनी भी इन प्रोडक्ट की कोई गारंटी नही देती है। लैब में जब जांच की गई तो पता चला कि इनमें डाइथीलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा बहुत ज्यादा है।
वहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक दवा में इस तत्व के जहरीले प्रभाव की वजह से पेट में दर्द, उल्टी आना, डायरिया, मूत्र में रिकावट, सिरदर्द, दिमाग पर प्रभाव और किडनी पर असर होने लगता है। डब्लूएचओ का कहना है कि जब तक संबंधित देश की अथॉरिटी पूरी तरह से जांच ना कर ले इन दवाओं को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे दूसरी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं।