उत्तर प्रदेश चुनाव का हर खेमा क्यूँ चाहता है की जयंत चौधरी उनके पाले में हो , क्यूँ इन चुनावो में जयंत चौधरी का इतना बोलबाला है….

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उत्तर प्रदेश चुनाव में एक नाम बडी चर्चा में है वो है जयंत चौधरी . अमित शाह भी उनको अक्सर चुनावी रैली में पार्टी के अन्दर शामिल होने के प्रस्ताव देते रहते है।
राष्ट्रिय लोक दल पार्टी के नेता बडे राजनीति परिवार से ताल्लुक रखते है .उनके पिता चौधरी चरण सिंह यूपी के पूर्व CM और भारत के प्रधानमंत्री रह चुके है . उनके उपर अपने परिवार की विरासत सभांलने का जिम्मा भी है।

पश्चिमी यूपी में रालोद का अच्छा खासा दबदबा भी है. एक समय ऐसा भी था जब जाट किसी भी स्थिती में नल का बटन दबाता था. 2012 तक रालोद का उत्तर प्रदेश में एक अच्छा वर्चस्व था ,लेकिन 2012 में मुजफ्फरनगर  दंगो के जाट और मुस्लिम खेमे दो भागो में बट गए जिसका नुकसान रालोद को भुगतना पडा।

भारतीय जनता पार्टी के लिए यह एक बडा मौका था.जिसके उसने फायदा भी उठाया . 2014 में बीजेपी को 77% , 2017 में 52% , 2019 में 91%, जाट वोट पाकर बीजेपी अपनी पकड बना चुकी थी. लेकिन फिर 2020 में किसान आन्दोलन हुआ , जिसमें यूपी के जाटो ने जमकर प्रर्दशन किया .अजीत चौधरी और जयंत चौधरी ,राकेश टिकैत के साथ किसान आन्दोलन की कमान सभालंते नजर आए।

उसके बाद एक बडा जातिय समुदाय RLD की तरफ झुकता दिखाई देता है और इसके बाद फिर से रालोद की एंट्री होती है चुनावी गण में , हालाकि RLD अपने दम पर चुनाव नही जीत सकती लेकिन जिस खेमे में होगी वो पार्टी के जीतने की सभांवना ज्यादा है।
जयंत चौधरी इस बार सपा के साथ गठबंधन करते नजर आ रहे है , लेकिन भाजपा की तरह हर खेमा चाहता है की जयंत चौधरी उसके साथ आए।

अब सपा को जयंत चौधरी के साथ होने से फायदा होगा या नही ये 10 मार्च को ही पता चलेगा। 

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