नहीं मिलेगा सस्ता पेट्रोल, इजराइल और हमास की लड़ाई में भारत की प्लानिंग फेल

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नई दिल्ली: शनिवार से पहले इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 84 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई थी. सभी ने अनुमान लगा लिया था कि कच्चा तेल इसी महीने में 75 से 80 डॉलर से बीच में आ जाएगा. जिसके बाद भारत के गणितज्ञों ने यहां तक कहना शुरू कर दिया था कि नवंबर के पहले हफ्ते से पेट्रोल और डीजल सस्ता होना शुरू हो जाएगा. यह गिरावट 7 रुपये से भी ज्यादा की रह सकती है. इसका कारण भी था. बीते 45 दिनों में सरकार ने गैस सिलेंडर की कीमत में 2 बार कटौती कीं.

ऐसे में पेट्रोल और डीजल सस्ते होने की संभावनाएं परवान चढ़ने लगी थी, लेकिन इजराइल और हमास के बीच संघर्ष ने इस प्लानिंग को या यूं कहें कि इन संभावनाओं पर पूरी तरह से पानी फेर दिया. जानकारों ने एक बात तो पूरी तरह से साफ कर दी है कि आने वाले दिनों में फ्यूल के दाम कम नहीं होने वाले हैं. इसका कारण है कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता. भले ही गोल्डमैन शैस की रिपोर्ट ने साफ किया है कि इस हमले का कोई असर कच्चे तेल की कीमतों में देखने को नहीं मिलेगा. उसके बाद भी अस्थिरता की संभावनाएं बनी हुई हैं.

अगर ईरान ने प्रतिक्रिया दी और मिडिल ईस्ट के हालातों को बिगाड़ने की कोशिश इजराइल की ओर से हुई तो माहौल और भी ज्यादा खराब हो सकते हैं. यही वो सेंटीमेंट हैं जो कच्चे तेल की कीमतों को ऊपर की ओर रखे हुए हैं. वैसे जो अनुमान लगाए गए हैं, वो कच्चे तेल की कीमत में इजाफे की बात कर रहे हैं. अनुमान है जून के मिड तक ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 100 डॉलर के पार जा सकते हैं. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर गोल्डमैन की रिपोर्ट में क्या कहा है? साथ ही कमोडिटी एक्सपर्ट इस पूरे सिनेरियो को किस नजरिये से देखते हैं.

गोल्डमैन ने रविवार को अपने नोट में कहा कि जून 2024 तक ब्रेंट क्रूड शतक लगा सकता है. इसका मतलब है कि कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर बैरल पर पहुंच सकती हैं. जबकि उसने अपने नोट में यह भी कहा कि इस प्राइमरी फेज में मौजूदा ग्लोबल ऑयल प्रोडक्शन पर कोई असर नहीं पड़ा है. रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो हफ्तों में तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है. वहीं मौजूदा सिनेरियो देखने के बाद अब सऊदी अरब की ओर से प्रोडक्शन कट से जल्द राहत मिलने की संभावना नहीं है.

गोल्डमैन ने कहा कि बढ़ते संघर्ष से सऊदी अरब-इजराइल के संबंध सामान्य होने में वक्त लग सकता है. उम्मीद है कि सऊदी अरब अपना प्रोडक्शन बढ़ाने में और ज्यादा वक्त ले सकता हैा रिपोर्ट के अनुसार साल 2025 की पहली तिमाही तक सऊदी अरब अपने प्रोडक्शन में मामूली इजाफा कर सकता है. बैंक की ओर से इस बात का भी अनुमान लगाया गया कि साल 2024 में अगर सऊदी अरब कच्चे तेल का प्रोडक्शन प्रति दिन 9 मिलियन बैरल पर स्टेबल रखता है तो दिसंबर 2024 तक कच्चे तेल की कीमतें 104 डॉलर कर हो सकते हैं.

कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता बनी रह सकती है. एचडीएफसी सिक्योरिटी में करेंसी एंड कमोडिटी के हेड अनुज गुप्ता ने कहा कि अभी कुछ भी कहना काफी मुश्किल है. कच्चे तेल की कीमतें 95 डॉलर प्रति बैरल पर भी जा सकती हैं और 80 से 85 डॉलर प्रति बैरल पर भी रह सकती हैं. उन्होंने कहा कि अगर इजराइल और हमास का मसला जल्द नहीं सुलझा या फिर 7 दिनों से ज्यादा दिनों तक चला तो कीमतों में और ज्यादा अस्थिरता देखने को मिल सकती है.

मतलब साफ है कि पेट्रोलियम कंपनियां और सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में छेड़ने की कोशिश नहीं करेंगी. आम लोगों को सस्ते पेट्रोल और डीजल के लिए थोड़े वक्त का इंतजार करना पड़ सकता है. इसका मतलब है कि विधानसभा चुनावों के दौरान आम लोगों को सस्ते पेट्रोल और डीजल मिलने की संभावनाएं काफी कम है.

अगर बात मौजूदा समय में कच्चे तेल की कीमतों की बात करें तो ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 87.40 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रही है. 6 अक्टूबर के दिन ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 83.44 डॉलर प्रति बैरल के साथ दिन के लो पर आ गए थे. तब से अब तक च्चे तेल की कीमतों में पौने पांच फीसदी तक का इजाफा देखने को मिला है. वहीं दूसरी ओर डब्ल्यूटीआई के दाम में 85.37 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए हैं. 6 अक्टूबर को कच्चे तेल की कीमत 81.50 डॉलर प्रति बैरल के साथ दिन के लो पर थी, तब से अब तक कच्चे तेल की कीमत में 4.75 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है.

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