नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश में विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज से शुरू होगा। इस चार दिवसीय शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा में पहली बार शून्यकाल रखा जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने मंगलवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से साढ़े 12 बजे तक शून्यकाल आयोजित किया जाएगा, जिसमें विधायकों को जनहित के मुद्दे उठाने का अवसर मिलेगा।
उन्होंने कहा कि शून्यकाल में भाग लेने के लिए सदस्यों को सत्र शुरू होने से कम से कम 90 मिनट पहले विधानसभा सचिव को सूचित करना होगा और प्रत्येक सदस्य अधिकतम दो विषय उठा सकता है। उन्होंने कहा कि हालांकि इन मुद्दों पर चर्चा नहीं होगी, लेकिन मंत्री स्वेच्छा से जवाब देने का विकल्प चुन सकते हैं। धर्मशाला के तपोवन परिसर में 14वीं विधानसभा का सातवां सत्र 18 से 21 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि सत्र के दौरान 248 तारांकित और 68 अतारांकित प्रश्नों पर विचार किया जाएगा।
सत्र में विभिन्न नियमों के अंतर्गत 14 विषयों पर चर्चा भी होगी और सत्र के तीसरे दिन 20 दिसंबर को निजी विधेयक संबंधी दिवस के रूप में नामित किया गया है। अध्यक्ष ने कहा कि दैनिक कार्यवाही दिन में 11 बजे प्रश्नकाल से शुरू होगी, उसके बाद शून्यकाल और फिर विधायी कार्य होंगे। तपोवन विधानसभा परिसर के बारे में अध्यक्ष ने कहा कि वर्तमान में इसका उपयोग केवल शीतकालीन सत्र के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि परिसर को पूरे वर्ष यहां आने वाले लोगों और पर्यटकों के लिए खोलने तथा पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी निकायों को सम्मेलनों व कार्यक्रमों के लिए परिसर का उपयोग करने की अनुमति देने की योजना पर विचार किया जा रहा है।
शून्यकाल के बारे में जानकारी देते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने मॉनसून सत्र से पहले बताया था कि जिन जनहित के मुद्दों को सदन में नियमों के तहत उठाने का समय नहीं मिल पाता है, उन्हें सदस्य प्रश्नकाल के बाद आधे घंटे के शून्यकाल में उठा सकेंगे। हालांकि शून्यकाल में उठाए जाने वाले विषय जनहित का होना चाहिए अगर विषय अलग हुआ तो उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। पठानिया ने कहा था कि शून्यकाल के दौरान सदस्य अपने-अपने मुद्दे संक्षेप में उठा सकेंगे। इसके लिए उन्हें केवल एक मिनट या इससे कुछ अधिक समय मिलेगा और संबंधित मंत्री इस पर अपना पक्ष रखेंगे।