मानसून की आहट के साथ ही रेगिस्तानी राज्य में शुरू हो जाती है तेज बारिश

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जयपुर । इसे मौसम का बदलाव कहें या वैश्विक जलवायु परिवर्तन का असर। सच्चाई यह है कि राजस्थान अब अपने नाम ‘रेगिस्तानी राज्य’ से मेल नहीं खाता। इस साल राज्य में जुलाई में यहां 270 मिमी बारिश हुई थी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार लगभग सात दशकों में यहां इस साल जुलाई में सबसे अधिक बारिश हुई।

जयपुर स्थित मौसम विज्ञान केंद्र द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार जुलाई में होने वाली औसत बारिश 161.4 मिमी की तुलना में इस साल 270 मिमी यानी 67 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। राज्य में पिछले साल जुलाई में 130.8 मिमी बारिश हुई थी।

राजस्थान में अतीत के विपरीत इस वर्ष मानसून के दौरान नियमित रूप से बाढ़ आई। साथ ही बारिश के पैटर्न में भी बदलाव आया, जिसे राज्य में बाढ़ का कारण बताया गया।

पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर में बाढ़ देखी गई, जबकि सर्दियों में उदयपुर में ओलावृष्टि हुई और पश्चिमी राजस्थान के हनुमानगढ़ में अचानक बाढ़ आ गई।

कभी रेगिस्तानी इलाका कहा जाने वाला इलाका भारी बारिश की वजह से नम और हरा-भरा था।

इस मानसून के मौसम में राजस्थान के अधिकांश हिस्सों में औसत से अधिक वर्षा दर्ज की गई।

थार मरुस्थलीय क्षेत्र में अच्छी बारिश दर्ज की गई, जो राज्य के पश्चिमी जिलों जैसे बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, चूरू, नागौर और गंगानगर में फैला हुआ है, जहां आमतौर पर कम बारिश होती है।

मौसम विभाग के अनुसार राज्य के पश्चिमी हिस्सों के जिलों में 190.9 मिमी बारिश हुई जो इस अवधि के दौरान सामान्य बारिश 112.4 मिमी से 70 प्रतिशत अधिक है।

जुलाई में गंगानगर जिले में 239.6 मिमी बारिश हुई, जो औसत बारिश 92.6 मिमी से 159 प्रतिशत अधिक है। औसत से 100 फीसदी या इससे ज्यादा बारिश वाला यह राज्य का पहला जिला है। इसके अलावा बीकानेर में औसत से 148 फीसदी, जैसलमेर में 126 फीसदी और चूरू में 122 फीसदी ज्यादा बारिश हुई।

ये पश्चिमी राजस्थान के वे जिले हैं जो अल्प वर्षा के लिए जाने जाते थे।

असामान्य मौसम का चलन मानसून तक ही सीमित नहीं था क्योंकि राज्य में अब अलग तरह की सर्दियां भी देखी जा रही हैं।

नई दिल्ली में मौसम विज्ञान केंद्र द्वारा किए गए पूवार्नुमान के अनुसार नवंबर की सर्दियां कम कठोर होंगी, जबकि उसी महीने बारिश सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद है।

राजस्थान में सर्दियां आमतौर पर वैश्विक पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। हालांकि इस साल उच्च तापमान ने लगभग 50 वर्षों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया, जिससे लोगों को सर्दियों में गर्मी का एहसास हुआ। 50 साल में पहली बार सिरोही में अधिकतम तापमान 40 डिग्री से ऊपर चला गया। वहीं जयपुर और अजमेर में भी अधिकतम तापमान ने 12 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया।

नवंबर के शुरुआती दिनों में जयपुर, अजमेर और उदयपुर सहित 10 से अधिक शहरों में दिन का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया।

मौसम विज्ञान केंद्र जयपुर की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि अजमेर, जयपुर, बाड़मेर, बीकानेर, चूरू, जैसलमेर, जोधपुर, कोटा, गंगानगर और उदयपुर में इस साल नवंबर के शुरुआती दिनों में अधिकतम तापमान की तुलना में अधिकतम तापमान दर्ज किया गया है। पिछले 12 सालों में नवंबर में तापमान रिकॉर्ड किया गया है। इन सभी शहरों में इस बार दिन का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया।

31 अक्टूबर को जब नई दिल्ली स्थित मौसम केंद्र ने राजस्थान समेत देश के लिए नवंबर का पूवार्नुमान जारी किया तो दिन का तापमान सामान्य से ऊपर रहने के संकेत मिले। पहले हफ्ते में यह भविष्यवाणी सच साबित हुई। हालांकि छह नवंबर से सक्रिय हुए पहले पश्चिमी विक्षोभ (मौसम प्रणाली) के बाद राजस्थान समेत उत्तर भारत में मौसम ने करवट ली और दिन ठंडे होने लगे।

राजस्थान के जोधपुर, बीकानेर, चूरू, बाड़मेर, जैसलमेर शहर अपने उच्च तापमान के लिए जाने जाते हैं। हालांकि इन शहरों में भी पिछले 50 सालों से नवंबर में कभी भी दिन का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक नहीं पहुंचा।

मौसम विज्ञानियों के अनुसार आमतौर पर अक्टूबर में जब मानसून विदा होता है तो हवाओं की दिशा (पूर्व से पश्चिम की बजाय पश्चिम से पूर्व) बदल जाती है और पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव आने लगता है, जिससे राजस्थान समेत पूरे उत्तर भारत में चक्रवाती परिसंचरण बनने लगता है। फिर धीरे-धीरे दिन-रात का तापमान कम होने लगता है।

लेकिन इस बार मानसून के जाने के बाद 5 नवंबर तक उत्तर भारत में न तो कोई पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुआ और न ही चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र। अक्टूबर से नवंबर तक राजस्थान में 20 दिनों से अधिक समय तक एंटी-साइक्लोनिक सिस्टम सक्रिय रहा।

इस सिस्टम में हवा का दबाव बढ़ जाता है और आसमान साफ रहता है। साफ आसमान के साथ सूरज तेज चमकता है और दिन गर्म होते हैं। आखिरकार इस बार नवंबर में तापमान ऊपर चला गया।

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