उप्र के बंदायू में महिलाएं कर रहीं प्राकृतिक पेंट का निर्माण, बन रहीं आत्मनिर्भर
पंचायत भवन से लेकर प्राथमिक स्कूलों में प्रयोग किया जा रहा प्राकृतिक पेंट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार तेजी से काम कर रही है। प्रदेश की महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए बंदायू जिले में प्रदेश सरकार की ओर से एक नई पहल की गई है। इससे स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार के नए अवसर मिले हैं। प्रदेश सरकार की ओर से एनआरएलएम, मनरेगा और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाएं प्राकृतिक पेंट का निर्माण कर रहीं हैं, जिससे प्रतिमाह पांच से आठ हजार की आय का सृजन कर पा रही हैं।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बुधवार को यहां बताया कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की भागीदारी से बनाए जा रहे प्राकृतिक पेंट पूरे तौर पर इको फ्रेंडली हैं। इसमें एक तिहाई गाय के गोबर का प्रयोग किया गया है। ऐसे में गौशालाओं, महिलाओं संग अन्य को भी आय के नए अवसर मिले हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि बंदायू में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने 40 दिनों के भीतर 40,000 लीटर डिस्टेंपर पेंट का निर्माण किया और 350 समूहों के बीच वितरित करने के लिए आठ लाख रुपये की कमाई हुई। इसके साथ ही पुरुष कर्मचारी को मासिक वेतन के रूप में प्रत्येक को 9,000 रुपए दिए जाते हैं। वहीं गौशाला के देखभाल करने वालों को पेंट फैक्ट्री से कुल वेतन के रूप में 14,400 रुपए दिए जाते हैं।
इस प्राकृतिक पेंट से प्राथमिक जूनियर स्कूल, पंचायत भवन, आंगनवाड़ी और सरकारी कार्यालयों में रंगाई पुताई की जा रही है। बंदायू की जिलाधिकारी दीपा रंजन ने बताया कि स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। महिलाओं द्वारा ये पेंट तैयार किया जा रहा है। ऐसे में उनको नए रोजगार के अवसरों संग यूपी इको फ्रेंडली कार्यक्रम को बढ़ावा देने की राह में आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने बताया कि जल्द ही स्थानीय व्यापारी भी इस पेंट के प्रयोग को बढ़ानें में अपनी भागीदारी देंगे। प्रतिमाह 45 हजार लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन किया जा रहा है। इस प्राकृतिक पेंट के लिए एमओयू पर चर्चा की जा रही है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने प्रदेश के हर जिले में इस प्राकृतिक पेंट के प्रचार प्रसार और निर्माण कराने के आदेश दिए हैं।