नई दिल्ली : देश की आर्थिक स्थिति में पिछले कुछ वर्षों में कई बदलाव देखने को मिले हैं। खासकर उन महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है, जो अब कार्यबल का हिस्सा बन चुकी हैं। इससे संपत्ति मालिकों के रूप में महिलाओं की संख्या बढ़ी है।
संख्या के लिहाज से पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा होम लोन ले रही हैं। बैंक बाजार के एस्पिरेशन सर्वे के मुताबिक, संपत्ति खरीदने के लिए होम लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या 48 फीसदी पहुंच गई है, जबकि पुरुषों की संख्या 46 फीसदी है। महिलाओं की संख्या में इस वृद्धि की कई वजह हैं। बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान न सिर्फ महिलाओं को सस्ता कर्ज दे रहे हैं बल्कि उन्हें कर बचत समेत कई लाभ भी मिल रहे हैं।
कम ब्याज दरें : बैंक व गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) महिलाओं को संपत्ति मालिक बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। इसलिए, ये वित्तीय संस्थान उन महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले सस्ते ब्याज पर कर्ज दे रहे हैं, जो खुद की संपत्ति खरीदना चाहती हैं या होम लोन में सह-आवेदक हैं। ऐसी महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले 0.05 से 0.1 फीसदी तक सस्ता होम लोन मिल रहा है।
कर लाभ : होम लोन के लिए आवेदन करने वाली महिलाएं आयकर कानून की धारा 80सी के तहत लोन की मूल राशि पर 1.50 लाख तक कर छूट पा सकती हैं। धारा 24बी में अधिकतम 2 लाख की कर छूट की अनुमति पूरी तरह से निर्मित घर के लिए गए होम लोन से जुड़े ब्याज पर दी जाती है।
स्टाम्प शुल्क : स्टाम्प शुल्क हर राज्य में अलग-अलग है। इसमें महिलाओं को छूट भी मिलती है। महाराष्ट्र में स्टाम्प शुल्क पुरुषों के लिए 6% है व महिलाओं के लिए 5 फीसदी। पंजाब में यह महिलाओं के लिए 5% व पुरुषों के लिए 7 फीसदी। अन्य राज्य भी महिलाओं को छूट देते हैं।
ब्याज सब्सिडी : अधिक-से-अधिक महिलाओं को संपत्ति मालिक बनाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं। इनमें ब्याज सब्सिडी भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में महिलाओं को 2.67 लाख रुपये की अधिकतम ब्याज सब्सिडी मिलती है। इसके लिए महिलाओं का मकान मालिक या सह-आवेदक होना जरूरी है।
खास मौके पर मिलते हैं विशेष ऑफर : आदिल शेट्टी, सीईओ, बैंक बाजार ने बताया कि खुद की संपत्ति होने से वित्तीय सुरक्षा का एहसास होता है। उपरोक्त लाभ के अलावा बैंक-वित्तीय संस्थान सीजनल या खास मौके पर महिलाओं के लिए विशेष ऑफर लाते हैं। इसके साथ ही, महिला उधारकर्ता अपने होम लोन से जुड़ी लागतों पर भी बचत कर सकती हैं।