ऐसी मान्यता है कि पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा चुकाया जाता है। वर्ष के किसी भी मास तथा तिथि में स्वर्गवासी हुए पितरों के लिए पितृपक्ष की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है। पूर्णिमा पर देहांत होने से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को श्राद्ध करने का विधान है। श्राद्ध प्राचीन भारतीय संस्कृति का अंग है। श्राद्ध यानी श्रद्धा से किया गया कार्य। पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं तथा तृप्त करने की क्रिया और देवताओं, ऋषियों या पितरों को तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं। तर्पण करना ही पिंडदान करना है। राजा दशरथ के निधन का समाचार मिलने पर भगवान राम ने वनवास में रहते हुए भी पिता का श्राद्ध किया था।
श्राद्ध के सोलह दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा चुकाया जाता है। वर्ष के किसी भी मास तथा तिथि में स्वर्गवासी हुए पितरों के लिए पितृपक्ष की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है। पूर्णिमा पर देहांत होने से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को श्राद्ध करने का विधान है। इसी दिन से महालय (श्राद्ध) का प्रारंभ भी माना जाता है। श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा से जो कुछ दिया जाए। पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितृगण वर्षभर तक प्रसन्न रहते हैं। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि पितरों का पिण्ड दान करने वाला गृहस्थ दीर्घायु, पुत्र-पौत्रादि, यश, स्वर्ग, पुष्टि, बल, लक्ष्मी, पशु, सुख-साधन तथा धन-धान्य आदि की प्राप्ति करता है। पितृ पक्ष 2023: दान की 5 महत्वपूर्ण वस्तुएं
पितृ पक्ष में पितरों को तृप्त करने के लिए घर की महिलाओं को 5 वस्तुओं केला, दही, सफेद मिठाई, लगा हुआ पान और दक्षिणा देना चाहिए। यहां जानते हैं इन वस्तुओं के दान का महत्व। केला पितरों को खुश करने के लिए पितृ पक्ष में पके हुए केले का दान करना चाहिए। केला एक सदाबहार फल है और वह भगवान विष्णु को प्रिय है। विष्णु कृपा प्राप्ति के लिए केले के पौधे की पूजा भी होती है। भगवान विष्णु वैकुंठ धाम के मालिक हैं और मोक्ष प्रदान करने वाले हैं। पितर केले का दान पाकर प्रसन्न हो उठते हैं और आशीर्वाद देकर अपने वंश को धन्य करते हैं। दही
पितरों की तृप्ति के लिए आप दही का दान जरूर करें। पितृ पक्ष में दूध से ज्यादा दही का महत्व होता है। दूध कच्चा होता है, जबकि दही पके दूध से बनाते हैं और वह जमा हुआ होता है। पितरों को दही प्रिय है। दही स्थिर और जमा होता है। पितरों को इसलिए दही दान करते हैं ताकि हमारे जीवन में स्थिरता आए। सफेद मिठाई पितृ पक्ष में सफेद मिठाई का दान पाकर पितर खुश हो जाते हैं। प्रेत मंजरी में लिखा है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति प्रेत भाव में होता है और वह अंधकार में रहता है। इस भाव में वे अपने वंश को प्रताड़ित या परेशान न करें, इसलिए उनके लिए सफेद मिठाई का दान करते हैं। पितरों को सफेद वस्तुएं दान करते हैं। श्वेत रंग सकारात्मकता का प्रतीक है, जिसे वे पाकर प्रसन्न होते हैं। लगा हुआ पान
पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए पितृ पक्ष में उनको लगा हुआ पान दान करना चाहिए। लगा हुआ पान का मतलब पान के बीड़े से है। आप लगा हुआ पान दान करती हैं तो आपका घर धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाएगा। दक्षिणा दक्षिणा के बिना कोई भी दान फलित नहीं होता है, वह व्यर्थ समझा जाता है। यहां पर दक्षिणा का अर्थ धन या पैसे से नहीं है। दक्षिणा में आप अपने पितरों के लिए कोई पात्र यानि बर्तन जैसे कटोरा, लोटा, थाली आदि दान कर सकते हैं।