World Biggest Genocide : जानिए क्या है जनसंहार , और विश्व के कुछ बड़े जनसंहारों के पीछे की कहानी

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World Biggest Genocide : कश्मीर फाइल्स के बाद जनसंहार का मुद्दा हर किसी की जुबान पर है अब यूक्रेन रूस पर जनसंहार का इल्जाम लग रहा है। कश्मीरी पंडितो के साथ जो हुआ वोह सब जानते है। आपको बता दे अंग्रेजी में जनसंहार को जेनोसाइड कहते है। आज बात करेंगे क्या होता है जनसंहार और कहा – कहा बड़ा जनसंहार हुआ था।

जनसंहार का मतलब होता जब किसी व्यक्ति को इसलिए मारा जाता है क्युकी वोह किसी बिशेष समुदाय से है। पहली बार जेनोसाइड का यूज़ रेफायल लेमकीन अपनी बुक में एक्सिस रूल इन ऑक्यूपाइड यूरोप में किया था। यह बुक हिटलर ने नाजी पॉलिसीस पर यहूदियों को मारने पर based है।

किसी भी समुदाय को ख़त्म करने के लिए जब लोगो को मारा जाता है वह जनसंहार के अंदर आता है अब मारने के तरीका कोई भी हो सकता है। उस समुदाय को ख़त्म करने के लिए उनके लोगो को बेहरमी से मरना , मानसिक प्रताड़ना देना , बुरे हालत पैदा कर देना , याह ऐसा कुछ करना जिससे समुदाय को के बच्चे पैदा ना हो सके ।

कश्मीर जनसंहार

अब आपको बताते है एक बड़े जनसंहार के बारे में जो कश्मीर में हुआ था। कट्टरपंथी मुसलमानों ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की शह पर कश्मीरी पंडितों को 3 ऑप्शन दिए 1. धर्म परिवर्तन 2. कश्मीर छोड़ना 3. जान गंवाने का फिर अचानक हजारों की भीड़ ने पंडित समुदाय के लोगों को सरेआम कत्लेआम किया , और महिलाओ के रेप भी हुए। जम्मू कश्मीर की सरकार ने कहा 1989 से 2004 के बीच 1400 लोगो की हत्या हुआ था जिसमे 219 कश्मीर पंड़ित गए थे। जबकि कश्मीर संगठन का कहना था की 1990 से अब तक 1341 पंडित मरे गए है।

यहूदी जनसंहार

बात करे एक और बड़े जनसंहार की तोह 1918 प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की हार हुई तो उसका ठीकरा भी नेताओं ने यहूदियों के सिर फोड़ दिया। खराब अर्थव्यवस्था ने जर्मनी को कंगाल कर दिया। 1930 के बाद सत्ता में आई नाजी पार्टी ने लोगों के मन में यहूदियों के खिलाफ नफरत पैदा की। सबके दिमाग में यह डाल दिया गया की यहूदी इंसानियत के काबिल नहीं है। वोह सिर्फ नफ़रत के काबिल है। इसके बाद हुआ यह की हिटलर के आर्डर पर 60 लाख यहूदियों को यूरोप में मौत के घाट उतारा गया।
और बूड़ो को यातनाए दी गयी बच्चो और लोगो को गैस चेम्बर डालकर मारा गया। आलम यह हुआ 1945 में 3 में से 1 यहूदी को मौत के घाट उतारा दिया गया था।

रवाड़ा जनसंहार

बात करें एक और जनसहार की तो 1894 में रवाड़ा जनसंहार 100 दिनों तक चला था जिसमें 8 लाख लोग मारे गए थे। लड़ाई के मुख्य कारण सत्ता पर लंबे समय तक अल्पसंख्यक टुत्सी का राज जो बहुसंख्यक हुतू को रास नहीं आया 1959 में कुतुब विद्रोहियों ने टुत्सी राजतंत्र का तख्ता पलट दिया। जिसके कारण वहां लोगों को बेरहमी से मारा गया और औरतों के रेप भी हुए।फिर एक बार 1990 में कत्लेआम शुरू हुआ।। इस बार टुत्सी ने हुतू समुदाय पर वार किया। इसके बाद यह जनसंहार में बदल गया। और ना जाने कितने कत्ले आम हुए और कितने लोग मरे गए।

आर्मेनिया जनसंहार

आर्मेनिया में एक जनसंहार की शुरुआत हुई, जो 3 साल चला। इस जनसंहार के नेतृत्व का आरोप तुर्की की ऑटोमान सरकार पर लगा। इस सरकार ने 15 लाख लोगों की बुरी तरह से हत्याए कर दी। प्रथम विश्व युद्ध में ऑटोमान सरकार जर्मनी के साथ खड़ी थी । तुर्की ने आर्मेनियंस पर आरोप लगाए कि युद्ध में वो जर्मनी की बजाय दुश्मन देश रूस का साथ है । इसके बाद 1915 में आर्मेनियाई मूल के लोगों को तुर्की से निकाला जाने लगा। इस दौरान तुर्की सरकार की सेना ने उन्हें या तो मार डाला, या तुर्की की सीमा से बहार फेंक दिया।


सेना ने महिलाओं, बच्चों और बूढों से गुलामी कराई और उन्हें सीरिया के रेगिस्तान में नंगे पैर ‘मौत की यात्रा’ यानी डेथ मार्च पर भेजा गया । तुर्की पर जब विश्व के बड़े देश जनसंहार का आरोप लगाते हैं तो वह इससे इनकार करता नजर आता है।

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रिर्पोट – शिवी अग्रवाल

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