82 साल की सफल शादी का वर्ल्ड रिकॉर्ड: 86 सालों तक साथ रहा कपल, सफल शादी के 15 मूलमंत्र, सुंदर जीवन के लिए जरूरी है इन 7 पवित्र वचनों का पालन

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नई दिल्ली: हिंदी फिल्मों की कहानियों में अक्सर प्यार-मोहब्बत-इश्क भरपूर मात्रा में होती है। युवाओं को भी अक्सर लव स्टोरी ज्यादा पसंद आती है लेकिन असल जिंदगी में भारतीय युवा लव मैरेज से ज्यादा अरेंज मैरेज में विश्वास रखते हैं। मतलब मोहब्बत सिर्फ सिनेमा तक ही ठीक है, असल जिंदगी में शादी वहीं होती है जहां घरवाले तय करते हैं। ताजा सर्वे में ये बात सामने आई है कि भारतीय परिवारों में 93 फीसदी शादियां अरेंज मैरेज होती है वहीं सिर्फ तीन फीसदी लोग लव मैरेज करते हैं और दो प्रतिशत लोग ऐसे होते हैं जो लव कम अरेंज मैरेज करते हैं। 1।60 लाख परिवारों के मिले डाटा के आधार पर ये नतीजा निकाला गया है।

डाटा से साफ है कि आज भी भारतीय परिवारों में शादी-विवाह पारिवारिक होती हैं जिसमें परिवार की मर्जी शामिल होती है। सर्वे में एक और बात सामने आई है और वो ये कि 90 फीसदी लोग अपनी कास्ट में शादी करते हैं। यानी अपनी ही जाति में शादी करने का चलन आज भी सबसे ज्यादा है। एक सर्वे की रिपोर्ट कहती है कि 70 हजार लोगों में से सिर्फ दस फीसदी लोगों ने माना कि उनकी शादी दूसरी जाति की लड़की ये लड़के से हुई है।

एक सर्वे ये भी कहता है कि 80 साल पहले भी 100 में से 94 फीसदी शादियां अरेंज मैरेज ही हुआ करती थीं यानी सिर्फ 6 फीसदी लोग लव या लव टू अरेंज मैरेज किया करते थे। डाटा से साफ है कि भारतीय समाज चाहे खुद को कितना भी प्रोग्रेसिव या मॉडर्न मान ले लेकिन शादी विवाह के मामले में आज भी परिवार अपनी ही जाति या अपनी ही बिरादरी की लड़की या लड़के के साथ शादी जैसा संबंध बनाते हैं।

इन दिनों जब लोग रिश्तों को उलझाते जाते हैं और शादी जैसी जिम्मेदारी से भागते रहते हैं, ऐसे में जो कपल लंबे वक्त तक शादी के बंधन में बंध जाते हैं वो आज के समय के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन जाते हैं। आज के वक्त में लोगों के बीच एक दूसरे के प्रति संवेदनशीलता और प्रेम का भाव खत्म हो जाता है इसलिए जल्द ही लोग शादी को खत्म करने पर उतारू हो जाते हैं। मगर आज हम जिन कपल्स की बात कर रहे हैं वो इतने लंबे वक्त तक शादी के बंधन में बंधे रहे कि उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड ही बना दिया।

अमेरिका के हर्बर्ट फिशर और जेलमायरा फिशर की कहानी किसी फिल्मी कहानी जैसी है जिसमें हीरो को हिरोइन से प्यार हो जाता है, दोनों शादी कर लेते हैं और जिंदगीभर खुशी-खुशी साथ रहते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि हर्बर्ट और जेलमायरा की शादी साल 1924 (American Couple married in 1924) में हुई थी। तब दोनों की उम्र महज 18 साल और 16 साल थी। शादी के बाद कपल साथ में नॉर्थ कैरोलाइना (North Carolina, America) में खुशहाल जिंदगी बिताने लगा।

86 सालों तक साथ रहा कपल
रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने साथ में कई उतार-चढ़ाव देखे, द्वितीय विश्व युद्ध, ग्रेट डिप्रेशन आदि जैसी घटनाओं का भी अनुभव किया। उनके बीच कई बार परेशानियां भी पैदा हुईं मगर उन्होंने अपना साथ कभी नहीं छोड़ा। साल 2010 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी उनकी आधिकारिक तारीफ की थी। दुर्भाग्यवश हर्बर्ट की साल 2011 में मौत हो गई और कपल का लंबा रिश्ता टूट गया। दोनों ने साथ में 86 साल और 290 दिनबिताए थे और इस तरह उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।

इस कपल्स ने भी रचा इतिहास
हर्बर्ट और जेलमायरा ही एक लौते ऐसे कपल नहीं हैं जिन्होंने इतना वक्त साथ में बिता दिया। हाल के दिनों में सबसे ज्यादा लंबे वक्त तक शादी के बंधन में बंधे रहने का रिकॉर्ड अमेरिका के ही ह्यूजीन ग्लाडू और डोलोरस ग्लाडू के नाम दर्ज है। दोनों ने साल 1940 में शादी की थी और अब तक दोनों 81 साल और 75 दिनों से साथ हैं। पिछले साल जुलाई में उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ था। इसी तरह इक्विाडोर के 110 वर्षीय जूलियो सीजर मोरा टापिया और उनकी 105 साल की पत्नी वाल्ड्रामीना पिछले 79 सालों से शादी के बंधन में बंधे हैं। उन्होंने 1941 में शादी की थी।

इन्फोसिस के नारायण मूर्ति की सक्सेस के पीछे है गुड मैरिज

देश की नामी-गिरामी IT कंपनियों में शुमार की जाने वाली इन्फोसिस को इस मुकाम पर लाने में नारायण मूर्ति का अहम रोल रहा है। लेकिन नारायण मूर्ति ने कई इंटरव्यू में बताया है कि इस कंपनी को उन्होंने अपने कुछ इंजीनियर दोस्तों के साथ मिलकर शुरू किया जिसके लिए 10 हजार रुपए अपनी पत्नी सुधा मूर्ति से लिए। यानी यह नारायण और सुधा की गुड मैरिज का ही नतीजा रहा जो कि इतनी बड़ी कंपनी की शुरुआत हो सकी। सुधा और नारायण की लव स्टोरी पुणे स्थित टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (TELCO) से शुरू हुई।

नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति की मैरिज होने में वैसे तो कई ट्विस्ट आए लेकिन इन सबसे गुजरते हुए इस साल 10 फरवरी को उन्होंने 45वीं मैरिज ऐनिवर्सरी मनाई। दोनों यहीं काम करते थे। इसी दौरान उनमें नजदीकियां बढ़ीं। नारायण मूर्ति सुधा के साथ डेट पर जाते तो बिल सुधा देती थीं, क्योंकि मूर्ति के पास उस समय ज्यादा पैसे नहीं होते थे। 10 फरवरी 1978 को बेंगलुरु में नारायण मूर्ति और सुधा की शादी हुई। शादी के तीन साल बाद 1981 में इन्फोसिस की नींव रखी गई थी। आज इन्हीं के दामाद ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री हैं। यहां यह भी बताते चलें कि 2006 में सुधा मूर्ति पद्म श्री से सम्मानित हो चुकी हैं। आजकल वे शिक्षिका, लेखिका के अलावा इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष भी हैं।

सफल शादी के 15 मूल मंत्र

1। शादी को सफल बनाने का मूल मंत्र है- प्यार, विश्वास, समझौता और सामंजस्य। धीरे-धीरे एक-दूसरे को समझें, एडजस्ट होने के लिए व़क़्त और स्पेस दें। फिर देखें, किस तरह रिश्तों में मज़बूती आती है।

2। अरेंज मैरिज में दोनों पार्टनर एक-दूसरे के लिए अजनबी होते हैं। अतः घबराहट होना स्वाभाविक है। यदि आप भी ऐसा महसूस करती हैं, तो कारण जानने की कोशिश करें। कई बार किसी अनजान व्यक्ति के साथ रहने की कल्पना, नए परिवार के साथ तालमेल बैठाने का डर, वहां के तौर-तरीक़ों की चिंता आदि से मन डरता है। मन की घबराहट को पार्टनर के साथ शेयर करें। उसके ज़रिए परिवार के बारे में जानने की कोशिश करें। पार्टनर के साथ सहज हो जाने पर परिवार के साथ सामंजस्य बैठाने में परेशानी नहीं होगी।

3। अरेंज मैरिज का अर्थ है- ज़्यादा ज़िम्मेदारियां और ज़्यादा अपेक्षाएं। दोनों ही पार्टनर्स पर उन सारी बातों पर खरा उतरने का दबाव रहता है। दबाव ज़रूर लें, लेकिन इतना नहीं कि आपसी तालमेल ही गड़बड़ाने लगे।

4। जरूरी नहीं कि पार्टनर को आपकी हर पसंद-नापसंद में रुचि हो या आप दोनों के विचार एक जैसे हों। कभी-कभी विपरीत स्वभाववाले पार्टनर्स भी बहुत ख़ुश रहते हैं।

5। हो सकता है नए परिवार की सोच आपके जीवन मूल्यों को सही न माने और आपको लगातार बताया जाए कि इस परिवार में ऐसा ही होता है। निश्चय ही ऐसे माहौल में आप परेशान हो जाएं, घुटन भी हो, पर रिलैक्स! शादी में सामंजस्य व अनुकूलता भी होती है। ऐसी स्थिति में पार्टनर से सही शब्दों के चुनाव के साथ सौम्य लहजे में बात करें। उन्हें अपनी उलझन बताएं, ताकि परिवार के किसी भी सदस्य को नाराज़ किए बिना समस्या का हल निकल आए।

6। शुरू-शुरू में पार्टनर या परिवार के सदस्यों की किसी भी बात, कमेंट या व्यवहार को दिल पर न लें। न ही जैसे को तैसा वाली पॉलिसी अपनाएं, बल्कि जो लोग परेशानियां पैदा करते हैं, उनसे संभलकर रहें। सूझबूझ से स्थिति को संभालें। निश्चय ही ऐसा व्यवहार आप दोनों को ख़ुशियां देगा। एक-दूसरे के क़रीब लाएगा।

7। परिवार में होनेवाली हर छोटी-छोटी बात की शिकायत पार्टनर से न करें, न ही बात-बात पर आंसू बहाएं। याद रहे, वो भी आपकी तरह ही ज़्यादा नहीं, तो थोड़ी-बहुत दुविधा से गुज़र रहा है।

8। प्यार एक ऐसी भावना है, जो हर मुश्किल को आसान बना देती है। अरेंज मैरिज में भी कभी तो देखते ही प्यार हो जाता है और कभी साथ चलते-चलते प्यार हो जाता है, वो भी ऐसा कि जीवन के हर आंधी-तूफ़ान से जूझने की ताक़त बन जाता है। प्यार देंगे, तो प्यार मिलेगा भी।

9। प्यार की नींव है विश्वास। पार्टनर पर विश्वास करें और उनके भरोसे को भी बनाए रखें। धैर्य से काम लें। पार्टनर या परिवार के सदस्यों की ग़लतियों के प्रति क्षमाशील बनें। जो बीज हम बोते हैं, वही फल हमें मिलता है।

10। शादी एक कमिटमेंट है, जहां आप अपनी बेफ़िक़्र दुनिया से निकलकर ज़िम्मेदारी, कमिटमेंट, त्याग, समझौतों के भंवर में घूमते रहते हैं। लेकिन यही बातें विवाह को मज़बूत बनाती हैं।

11। हो सकता है आप अपने नए परिवार के मुक़ाबले आर्थिक रूप से ज़्यादा संपन्न परिवार से हों, ज़्यादा स्मार्ट या हर तरह से बेहतर हों। लेकिन याद रहे, शादी किसी मुक़ाबले का प्लेटफॉर्म नहीं है। अतः तुलनात्मक विचारधारा को आड़े न लाएं। अब यह परिवार आपका है, इसे बेहतर बनाने में सहयोग दें।

12। रिश्तों को मज़बूत करने के लिए संवाद सबसे मुख्य है। कभी भी अपने पार्टनर से झूठ न बोलें। एक झूठ आपको मुसीबत में डाल सकता है। एक बार आपका झूठ पकड़ा गया, तो फिर से वह विश्वास पाना असंभव हो जाता है।

13। विवाह की सफलता के लिए दोनों परिवारों को जोड़कर रखना भी आपका व आपके पार्टनर का काम है। यह तभी संभव है जब दोनों परिवारों के प्रति स्नेह व आदर का समान भाव हो।

14। रिश्तों को बनाए रखने में मुस्कुराहट बड़ा काम करती है। आप ख़ुद भी आनंदित होते हैं और दूसरों का मन भी जीत लेते हैं।

15। इन सारी बातों के अलावा कुछेक व्यक्तिगत बातें भी हो सकती हैं, जिन्हें अपने ढंग से सुलझाकर विवाह को सफल बनाया जा सकता है।

विवाह के 7 पवित्र वचनों के मंत्र और अर्थ, सुंदर जीवन के लिए जरूरी है इनका पालन

विवाह के समय पति-पत्नी अग्नि को साक्षी मानकर एक-दूसरे को सात वचन देते हैं जिनका दांपत्य जीवन में काफी महत्व होता है। आज भी यदि इनके महत्व को समझ लिया जाता है तो वैवाहिक जीवन में आने वाली कई समस्याओं से बचा जा सकता है।

विवाह समय पति द्वारा पत्नी को दिए जाने वाले 7 वचनों के महत्व को देखते हुए यहां उन वचनों के बारे में विशेष जानकारी दी जा रही है।

1। तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या:
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी!।

(यहां कन्या वर से कहती है कि यदि आप कभी तीर्थयात्रा को जाओ तो मुझे भी अपने संग लेकर जाना। कोई व्रत-उपवास अथवा अन्य धर्म कार्य आप करें तो आज की भांति ही मुझे अपने वाम भाग में अवश्य स्थान दें। यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।)

किसी भी प्रकार के धार्मिक कृत्यों की पूर्णता हेतु पति के साथ पत्नी का होना अनिवार्य माना गया है। पत्नी द्वारा इस वचन के माध्यम से धार्मिक कार्यों में पत्नी की सहभागिता व महत्व को स्पष्ट किया गया है।

2। पुज्यो यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या:
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम!!

(कन्या वर से दूसरा वचन मांगती है कि जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी सम्मान करें तथा कुटुम्ब की मर्यादा के अनुसार धर्मानुष्ठान करते हुए ईश्वर भक्त बने रहें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।)

यहां इस वचन के द्वारा कन्या की दूरदृष्टि का आभास होता है। उपरोक्त वचन को ध्यान में रखते हूए वर को अपने ससुराल पक्ष के साथ सदव्यवहार के लिए अवश्य विचार करना चाहिए।

3। जीवनम अवस्थात्रये पालनां कुर्यात
वामांगंयामितदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं तृतीयं!!

(तीसरे वचन में कन्या कहती है कि आप मुझे ये वचन दें कि आप जीवन की तीनों अवस्थाओं (युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था) में मेरा पालन करते रहेंगे, तो ही मैं आपके वामांग में आने को तैयार हूं।)

4। कुटुम्बसंपालनसर्वकार्य कर्तु प्रतिज्ञां यदि कातं कुर्या:
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं चतुर्थ:।।

(कन्या चौथा वचन ये मांगती है कि अब तक आप घर-परिवार की चिंता से पूर्णत: मुक्त थे। अब जब कि आप विवाह बंधन में बंधने जा रहे हैं तो भविष्य में परिवार की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति का दायित्व आपके कंधों पर है। यदि आप इस भार को वहन करने की प्रतिज्ञा करें तो ही मैं आपके वामांग में आ सकती हूं।)

इस वचन में कन्या वर को भविष्य में उसके उत्तरदायित्वों के प्रति ध्यान आकृष्ट करती है। इस वचन द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि पुत्र का विवाह तभी करना चाहिए, जब वो अपने पैरों पर खड़ा हो, पर्याप्त मात्रा में धनार्जन करने लगे।

5। स्वसद्यकार्ये व्यहारकर्मण्ये व्यये मामापि मन्त्रयेथा
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: पंचमत्र कन्या!!

(इस वचन में कन्या कहती जो कहती है, वो आज के परिप्रेक्ष्य में अत्यंत महत्व रखता है। वो कहती है कि अपने घर के कार्यों में, लेन-देन अथवा अन्य किसी हेतु खर्च करते समय यदि आप मेरी भी मंत्रणा लिया करें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।)

यह वचन पूरी तरह से पत्नी के अधिकारों को रेखांकित करता है। अब यदि किसी भी कार्य को करने से पूर्व पत्नी से मंत्रणा कर ली जाए तो इससे पत्नी का सम्मान तो बढ़ता ही है, साथ-साथ अपने अधिकारों के प्रति संतुष्टि का भी आभास होता है।

6। न मेपमानमं सविधे सखीना द्यूतं न वा दुर्व्यसनं भंजश्वेत
वामाम्गमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं च षष्ठम!!

(कन्या कहती है कि यदि मैं अपनी सखियों अथवा अन्य स्त्रियों के बीच बैठी हूं, तब आप वहां सबके सम्मुख किसी भी कारण से मेरा अपमान नहीं करेंगे। यदि आप जुआ अथवा अन्य किसी भी प्रकार के दुर्व्यसन से अपने आपको दूर रखें तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।)

7। परस्त्रियं मातूसमां समीक्ष्य स्नेहं सदा चेन्मयि कान्त कूर्या।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: सप्तमत्र कन्या!!

(अंतिम वचन के रूप में कन्या ये वर मांगती है कि आप पराई स्त्रियों को माता के समान समझेंगे और पति-पत्नी के आपसी प्रेम के मध्य अन्य किसी को भागीदार न बनाएंगे। यदि आप यह वचन मुझे दें तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।)

इस वचन के माध्यम से कन्या अपने भविष्य को सुरक्षित रखने का प्रयास करती है।

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