नई दिल्ली : पुरुषों के लिए दुनिया के पहले गर्भनिरोधक टीके का भारत (India) में सफल परीक्षण किया गया है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा बनाए गए टीके को पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावशाली पाया गया है। बायोमेडिकल शोध करने वाली भारत सरकार की अग्रणी संस्था आईसीएमआर ने कहा है कि उन्हें ‘रिवर्स इन्हिबीशन ऑफ स्पर्म अंडर गाइडेंस’(रिसुग) के परीक्षण में लगभग सात साल का समय लगा।
अंतरराष्ट्रीय ओपन एक्सेस जर्नल एंड्रोलॉजी में अध्ययन के तीसरे चरण के निष्कर्ष को प्रकाशित किया गया है। आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसर डॉक्टर सुजॉय कुमार गुहा ने कहा कि ‘रिसुग’की एक खुराक का असर लगभग 13 साल तक रहता है। विशेष बात यह है कि इसकी खुराक बगैर किसी दुष्प्रभाव के गर्भधारण को 99 फीसदी तक रोकने में सक्षम है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रिसुग को शुक्राणु नलियों में इंजेक्शन के जरिये डाला जाता है। इसके बाद यह इसमें मौजूद पॉलीमर नली की अंदरूनी दीवार से चिपक जाता है। पॉलीमर जब शुक्राणुओं से संपर्क में आता है तो यह उनकी पूंछ को नष्ट कर देता है, जिससे शुक्राणु अंडों को गर्भाधान करने की अपनी क्षमता खो देते हैं।