वाराणसी. सनातन धर्म में वैशाख मास का अपना विशेष महत्व है. इसी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. चतुर्थी तिथि प्रथम पूज्य भगवान गणेश को समर्पित होता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन भगवान गणेश की पूजा से जीवन के सारे कष्ट कलेश दूर होते हैं. इसके अलावा भगवान गजानंद का आशीर्वाद भी मिलता है.इस बार विनायक चतुर्थी 23 अप्रैल रविवार को पड़ रहा है.
काशी के विद्वान और ज्योतिषाचार्य पण्डित संजय उपाध्याय ने बताया कि विनायक चतुर्थी पर गौरी गणेश के पूजन और व्रत का विधान है. इस दिन व्रत रखने और पूरे विधान से भगवान गणेश के पूजन से सभी बाधाएं और संकट दूर होते हैं. इसके अलावा जो भी माताएं इस व्रत को रखती है उनके घर परिवार में खुशियां आती है और बेटे की आयु भी दीर्घायु होती है. इसके साथ ही घर में सुख शांति और समृद्धि का वास भी होता है.
इस दिन सुबह स्नान के बाद भगवान गणेश को काले तिल और गुड़ की लड्डू के साथ दुर्बा घास, लाल या सफेद फूल की माला और लाल वस्त्र अपर्ण करना चाहिए. इन चीजों को अर्पण करने के बाद सुगन्धित धूप, अगरबत्ती और शुद्ध घी का दीप जलाकर उनकी पूजा करनी चाहिए. इससे भगवान गणेश प्रसन्न होते है और भक्तों के संकट हरने के साथ उनकी मनचाही मुरादों को पूरी करतें है.