अयोध्या में हार का बदला खुद लेंगे योगी आदित्यनाथ, दांव पर लगी है अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा

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अयोध्या: लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी अयोध्या क्या हारी, मीम बनाने वालों को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया. रही-सही कसर स्टैंडअप कॉमेडियंस ने पूरी कर दी, जिनको इस हार नें हंसने-हंसाने का मौका दे दिया, लेकिन अब बीजेपी इस हार का बदला लेने की तैयारी में है और ये बदला न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेना है और न ही गृहमंत्री अमित शाह को. अयोध्या की हार का बदला लेने की जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उठाई है, जिन्होंने तय किया है कि बीजेपी को अयोध्या में हराने वाले सपा नेता अवधेश प्रसाद को उनके ही घर में मात दी जाए, जिसका जरिया उत्तर प्रदेश में होने जा रहा उपचुनाव बनेगा. उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इनमें से कानपुर की सीसामऊ सीट ऐसी है, जिसके विधायक इरफान सोलंकी को सजा हो गई है, तो उनकी विधायकी चली गई है और अब वहां उपचुनाव होना है. वहीं 9 सीटें ऐसी हैं, जिनके विधायक अब सांसद बन गए हैं और अब वहां उपचुनाव होना है.

इन्हीं में से एक है अयोध्या की मिल्कीपुर सीट, जिसके विधायक अवधेश प्रसाद अयोध्या से सांसद बन गए हैं. अब मिल्कीपुर में उपचुनाव होना है और इस उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने अवधेश प्रसाद को ही मिल्कीपुर का प्रभारी बना दिया है. बीजेपी और खास तौर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास यही मौका है, जब वो अवधेश प्रसाद की विधानसभा सीट पर अपनी पार्टी को जिताकर लोकसभा में हुई हार का बदला ले सकें. लिहाजा मिल्कीपुर सीट पर बीजेपी का प्रभारी और कोई नहीं, बल्कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं. चुनाव की तारीख भले ही घोषित नहीं हुई है, लेकिन सीएम योगी लगातार अयोध्या के दौरे कर रहे हैं, मिल्कीपुर के दौरे कर रहे हैं और हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं कि अवधेश प्रसाद और उनके प्रत्याशी को मिल्कीपुर में मात दी जा सके ताकि बीजेपी के पास ये कहने के लिए हो जाए कि उन्होंने अयोध्या की हार का बदला ले लिया है.

हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए चुनौती आसान नहीं है. क्योंकि एक और सीट है, जहां पर कमान खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही संभालनी पड़ी है और वो सीट है अंबेडकरनगर की कटेहरी. सपा नेता लालजी वर्मा यहां के विधायक हुआ करते थे, वो अब सांसद हो गए हैं. इस सीट को भी सीएम योगी ने अपनी प्रतिष्ठा की सीट बना ली है. यहां भी उनका मुकाबला सपा के कद्दावर नेता शिवपाल सिंह यादव से होना है, जो कटेहरी के प्रभारी हैं.

अब अगर ये दोनों सीटों पर बीजेपी की जीत हो जाती है, तब तो अयोध्या की हार का बदला लेने वाली बात बीजेपी कह पाएगी, लेकिन अगर चूक हुई तो न सिर्फ बीजेपी बल्कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी सवाल खड़े हो जाएंगे. हालांकि इन दोनों ही सीटों पर मायावती ने भी अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. भतीजे आकाश आनंद की पार्टी में वापसी के बाद मायावती भी इस उपचुनाव को लेकर खासी सक्रिय हैं. मिल्कीपुर-कटेहरी में मायावती के प्रत्याशी राम गोपाल कोरी और अमित वर्मा न सिर्फ बीजेपी और योगी आदित्यनाथ को परेशान करेंगे, बल्कि सपा मुखिया अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग जाएगी.

बाकी तो और भी आठ सीटें हैं, जहां चुनाव होने हैं. इनमें भी एक सीट करहल हॉट सीट बनी है, क्योंकि वहां से विधायक रहे अखिलेश यादव अब सांसद हो गए हैं. करहल की जिम्मेदारी अखिलेश यादव खुद लें या न लें, उसे तो उनकी प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा ही जाएगा. वहीं बीजेपी की ओर से करहल के प्रभारी उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक हैं, तो जाहिर है कि दबाव तो उनपर भी होगा. उत्तर प्रदेश में प्रयागराज की फूलपुर, मिर्जापुर की मझवां, कानपुर की सीसामऊ, संभल की कुंदरकी, गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर और बिजनौर की मीरापुर पर भी चुनाव होने हैं, लेकिन इनमें भी सबसे ज्यादा नजर प्रयागराज की फूलपुर सीट पर है, क्योंकि यहां के प्रभारी एक और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य हैं. ऐसे में ये पूरा उपचुनाव न सिर्फ बीजेपी और सपा के बीच लड़ा जाना है, बल्कि लड़ाई यूपी बीजेपी की अपनी भी है, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को भी खुद को साबित करना है. और इन तीनों बड़े नेताओं का प्रदर्शन ही ये तय करने वाला है कि यूपी में सरकार बड़ा है या संगठन.

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